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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

नमस्तुभ्यं! जमुई की बेटी अंजनी, देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतने का है सपना

मनुस्मृति (3/56) में वर्णित है :

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः।

यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।।

अर्थात :
जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है, देवता वहाँ निवास करते हैं.
और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नहीं होता है, वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के उपलक्ष्य में gidhaur.com आपको रूबरू करवाएगा ऐसी नारी शक्तियों से, जिन्होनें सामाजिक तानेबानों से ऊपर उठकर परिवर्तन के साथ विभिन्न क्षेत्रों में नए मिसाल कायम किये. 8 फ़रवरी से 8 मार्च तक आप प्रतिदिन gidhaur.com के माध्यम से अपने आसपास की ऐसी नारी शक्तियों के बारे में जान पाएंगे जिनकी उपलब्धियों पर आपको गर्व महसूस होगा. इस दौरान आप gidhaur.com के एडिटर-इन-चीफ सुशान्त साईं सुन्दरम के द्वारा लिखे गए 28 नारी शक्तियों के बारे में पढ़ेंगे. हमें पूरी उम्मीद है कि आपको हमारी यह पहल पसंद आयेगी. इस विशेष पहल का नाम नमस्तुभ्यं! रखा गया है, जो कि समस्त नारी शक्ति को समर्पित है. नमस्तुभ्यं का अर्थ है - नमस्कार. और हम इन नारी शक्तियों को उनकी उपलब्धियों और योगदान के लिए नमस्कार करते हैं.

अगर आपके आसपास भी कोई ऐसी प्रेरक महिला हैं, जिनके बारे में लिखा जाना चाहिए तो आप ई-मेल के माध्यम से editor@gidhaur.com पर संपर्क कर सकते हैं. इसके साथ आपके सुझाव भी सहर्ष आमंत्रित हैं.

12 फरवरी 2021 | नमस्तुभ्यं!
सुशान्त साईं सुन्दरम
एडिटर-इन-चीफ, gidhaur.com

आज हम आपको बताएँगे जमुई की एक ऐसी होनहार बेटी के बारे में जिन्होंने अपनी मेहनत, लग्न और समर्पण के बूते जमुई का नाम राष्ट्रिय पटल पर स्वर्णाक्षरों में अंकित किया है. समाज में जहाँ एक तरफ लड़कियों के लिए कई प्रकार की बंदिशें हैं वहीं जमुई की यह बेटी खुद को लड़कियों के रोल मॉडल के रूप में स्थापित करने में जुटी हैं. हम बताने जा रहे हैं जेवलिन थ्रो की राष्ट्रीय स्तर की एथलीट जमुई के बरुअट्टा गाँव की रहने वाली अंजनी के बारे में, जिसने न सिर्फ जिला या राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर  कई पदक जीते हैं और जिलेवासियों को अपनी उपलब्धियों पर इतराने का मौका दिया है.
मम्मी, पापा, दो भाई और दो बहनों के परिवार की अंजनी पहले जमुई के एक विद्यालय की टीम से रग्बी खेला करती थी. लेकिन समय के चक्र ने उन्हें जेवलिन थ्रो का सफल एथलीट बना दिया. वर्तमान में तिलका मांझी विश्वविद्यालय भागलपुर से हिंदी विषय में ग्रेजुएशन में द्वितीय वर्ष की छात्रा अंजनी की दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई प्लस टू गर्ल्स हाई स्कूल जमुई से हुई है. उन्होंने क्रमशः 2016 एवं 2018 में दसवीं एवं बारहवीं उत्तीर्ण किया. अंजनी के पिता बिहार पुलिस जीआरपी में हैं. अंजनी को जेवलिन थ्रो के क्षेत्र में लाने का श्रेय जमुई के एथलीट आशुतोष कुमार सूरज को जाता है. 
अंजनी ने जेवलिन थ्रो की शुरुआत वर्ष 2015 में की. वे बताती हैं कि यह अचानक से हुआ. वे तब रग्बी खेला करती थीं. रनिंग की प्रैक्टिस के लिए वो आशुतोष के पास गईं. आशुतोष जेवलिन थ्रो के ख्यातिप्राप्त एथलीट हैं. वहां उन्होंने अंजनी से जेवलिन थ्रो करवाया और यहीं से जेवलिन थ्रो के क्षेत्र में अंजनी की शुरुआत हुई. तब जमुई में लड़कियां खेला नहीं करती थीं. वर्ष 2016 में रांची में एक आयोजन हुआ, बोला गया एक बार खेल लो, लड़कियों की संख्या कम है. तब ही अंजनी ने जेवलिन थ्रो खेलना शुरू ही किया था. महज दस दिनों की प्रैक्टिस में वो खेलने के लिए रांची गई. हालाँकि तब इस गेम के बारे में बारीकियों का ज्ञान नहीं था. फिर भी उन्होंने टॉप-5 में स्थान बनाया और पांचवे पोजीशन पर आईं.
रांची से हिस्सा लेकर जब अंजनी वापस जमुई लौटी तो उनके कोच आशुतोष को साडी जानकारी दी. फिर यहाँ से उनकी कड़ी प्रैक्टिस शुरू हुई. अंजनी प्रतिदिन जमुई के केकएम कॉलेज कैम्पस में प्रैक्टिस के लिए आती. इनके पिता ने बच्चों की सहूलियत के लिए जमुई में घर बनवाया तो पैदल आने लगीं. कई बार लेट होने पर किसी का साइकिल लेकर आतीं. शुरुआत में केवल 2 लड़कियां प्रैक्टिस के लिए आती थीं, फिर धीरे-धीरे लड़कियों की संख्या बढ़ती गई.
अंजनी ने अब तक कई पदक जीते हैं. जूनियर नेशनल ईस्ट ज़ोन गुवाहाटी असम एवं कोयम्बटूर, नेशनल गेम गुंटूर, यूथ नेशनल गेम, ईस्ट ज़ोन गेम्स, ट्वेंटी फेडरेशन, जेवलिन चैलेंज नेशनल गेम हरियाणा सहित कई गेम्स में अंजनी ने हिस्सा लिया है.

बता दें कि वर्ष 2018 में पुणे में आयोजित हुए खेलो इंडिया में पहली बार बिहार से एकमात्र चुनी गई लड़की अंजनी हैं. जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए पदक हासिल किया. पुनः जनवरी 2020 में गुवाहाटी में आयोजित हुए खेलो इंडियागेम्स में सिल्वर मेडल जीता.
अंजनी बताती हैं कि जेवलिन की शुरुआत आशुतोष भैया करवाए. उन्होंने ही जेवलिन पकड़ना और उसे फेंकने के टेक्निक बताये.शुरुआत हुई तो पदक भी जीतने लगी. फिर वर्ष 2016 के अंत तक लगा की और आगे खेलने के लिए जमुई में पर्याप्त सुविधाओं की कमी है तो स्पोर्ट्स अथोरिटी ऑफ़ इंडिया (साई) के सिलीगुड़ी को ज्वाइन किया. वहां वसीम अहमद सर कोच थे. फिर धीरे-धीरे अंजनी ने जेवलिन के और बारीकियां सीखीं. वर्ष 2019 के अक्टूबर में नेशनल जूनियर कैम्प में 20 दिन के लिए शामिल हुईं. जहाँ उन्होंने गोल्ड मेडल जीता.

अंजनी अक्टूबर 2020 से इंडिया नेशनल कैम्प में है. फ़िलहाल पटियाला में नेशनल कैम्प के एथलीट्स की ट्रेनिंग चल रही है. यहाँ जर्मनी के युवी होन हेड कोच हैं, जो भारत के शीर्ष एथलीट्स को गाइड कर रहे हैं. उनके असिस्टेंट मोनू जय सर अभी अंजनी को कोच कर रहे हैं. कैम्प में चल रहे ट्रेनिंग में स्ट्रेंथ और टेक्निक के लिए सही मार्गदर्शन दिया जाता है.
अंजनी को हेल्दी रहना पसंद है. खाने में अंजनी को नमकीन और चटपटा पसंद है. प्रतियोगिताओं के लिए अंजनी बाहर होती हैं तो माँ का बनाया खाना मिस करती हैं. मीठा बहुत ज्यादा नहीं, लाइट मीठा पसंद है. बाहरी खाने से  खुद को कंट्रोल करती है. प्रैक्टिस में रेगुलर एक्सरसाइज और योग करती हैं.
पापा-मम्मी और गांववासियों से मिलने वाले प्यार और भरोसे से इंस्पायर होती हैं. उन्हें लगता है कि वे अच्छा करेंगी तो गांव में भी इम्प्रूवमेंट होगा, लड़कियों को मौका मिलेगा. अंजनी कहती हैं जैसे लड़कों को छूट दी जाती है, वैसे लड़कियों को नहीं मिलती. मेरे मम्मी पापा ने मुझर छूट दी, तो मैं चाहती हूँ कि और भी लड़कियों को मौका मिले. मैं अच्छा करूंगी तो गांववासियों को लगेगा कि उन्हें भी अपनी बेटियों को मौका देना चाहिए. मेरे उपलब्धियों से गांववासियों को खुशी तो होती है, लेकिन कुछ लोगों को अच्छा नहीं लगता. उन्हें लगता है कि लड़की है तो क्या ये सब करेगी? आपको तो पता ही होगा लड़कियों को कितना कुछ सुनना पड़ता है. लेकिन मैं किसी के कहने पर ध्यान नहीं देती. सोचती हूँ कि अच्छा करूंगी तो इन्हें समझ में आएगा. अच्छा कर के दिखाउंगी. लाइफ में एथलेटिक्स में करियर बनाने का और देश के लिए मेडल जीतने का शौक है. ओलंपिक खेलना सपना है. मेरे गांव बरुअट्टा पंचायत की मुखिया सिमरन प्रिया शुरुआत से ही बहुत सपोर्ट करती हैं. उन्होंने हंमेशा आगे बढ़ने के लिए सहयोग किया है.
अंजनी एथलीट के फील्ड में किसी को अपना इंस्पिरेशन नहीं मानती, वे खुद को ही बेस्ट बनाने की चाह रखती हैं.
कहती हैं - खुद को सबसे अच्छा बनाना है. सबसे अलग पहचान बनानी है. अंजनी को फ्री टाइम किताबें पढ़ना और यूट्यूब पर कॉमेडी वीडियोज़ देखना पसंद है.


gidhaur.com अंजनी को ढेर सारी शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है!

निवेदन है कि इन आर्टिकल्स के लिंक को शेयर जरुर करें ताकि अधिकाधिक लोग इन प्रेरक नारी शक्तियों को जान सकें, पहचान सकें.

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