जमुई के सिकंदरा में अवस्थित माँ नेतुला मंदिर की है महाशक्तिपीठ की मान्यता - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - Sushant Sai Sundaram Durga Puja Evam Lakshmi Puja

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020

जमुई के सिकंदरा में अवस्थित माँ नेतुला मंदिर की है महाशक्तिपीठ की मान्यता

जमुई/धर्म एवं आध्यात्म | अपराजिता : 
जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड का कुमार गांव माता नेतुला देवी के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली हुई है। इस मंदिर के बारे में जन धारणा है कि यदि इस मंदिर में लगातार 30 दिनों तक कोई साधक मां का ध्यान करता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। स्त्रियां यहां संतान प्राप्ति की मन्नतें मांगने भी आती हैं।

जैन धर्म के कल्पसूत्र में है वर्णन
जमुई रेलवे स्टेशन से मां नेतूला मंदिर सिकंदरा की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। नेतुला माता के मंदिर में दर्शन हेतु सभी धर्मों के भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है। जैन धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ कल्पसूत्र में माता नेतुला के बारे में लिखा है कि भगवान महावीर जब गृह त्याग करके ज्ञान प्राप्ति के लिए निकले थे तब माता नेतुला के मंदिर परिसर में ही रात्रि विश्राम करने के उपरांत वस्त्र त्याग करके उन्होंने अपनी यात्रा को आगे बढ़ाया था। 30 वर्ष की आयु में महावीर एक रात्रि के लिए रुके थे फिर चार साल बाद चार रात्रि के लिए मंदिर परिसर में रुके थे। इस प्रकार नेतुला मंदिर का इतिहास लगभग 26 सौ साल पुराना माना जाता है।
नेत्र और पुत्र प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है मंदिर
मंदिर प्रबंधक श्री कृष्ण सिंह के अनुसार 2600 वर्ष पहले महावीर का जन्म हुआ है। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मंदिर 2600 वर्ष पहले का है। यह मंदिर नेत्र और पुत्र के लिए प्रसिद्ध है। इसके हजारों उदाहरण हैं। शारदीय नवरात्र में यहां लगभग दस हजार श्रद्धालु रहते हैं जो पुत्र रत्न की कामना लेकर आते हैं। ये लोग 9 दिन फलाहार पर रहते हैं। यहां से कोई भी निराश नहीं जाता है। इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा दी गई दान की रकम से ही मंदिर का निर्माण कार्य तथा और भी अन्य कार्य चल रहा है।
महाशक्तिपीठ की है मान्यता
इस मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है। किंवदंतियों के अनुसार यहां माता सती की पीठ की पूजा होती है। सती जब 52 खंडों में बंटी थी तब हर जगह जो अंग गिरा वह शक्तिपीठ है। कुमार ग्राम के नेतुला पीठ की मान्यता है कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों आए और शिव के हाथ में जब दक्ष की पुत्री के शरीर का शेष भाग सभी जगह बंटने के बाद कुछ अंग बच गया था, तब देवताओं ने प्रार्थना किया था कि अब इस अंग को भी स्थापित करें।
तब शिव ने अंतिम में सती का पीठ अपने हाथ से छोड़ा था जो कि नेतुला देवी के नाम से प्रसिद्ध है। इसलिए यह महाशक्ति पीठ है। सती का 52 खंडों में बटा हुआ जो अंग है, उसे सुदर्शन चक्र ने काटा था। वह शक्ति पीठ है। यह सभी देवता की आराधना के बाद शिव इसे अपने हाथ से छोड़े हैं। इसलिए यह महाशक्ति पीठ है। माता रानी आप सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करें। जय मां नेतुला।

Post Top Ad -