【 न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】:-
भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले शूटर श्रेयसी सिंह को जमुई विधानसभा से उम्मीदवार बनाते हुए जमुई विधानसभा में सारे कयासों को भाजपा ने धराशायी कर क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय चेहरा दिया है।
इतिहास के पन्नों को झांके तो, क्षेत्रीय भूभाग पर लगभग 700 वर्षों तक चन्देल राजवंशों का ही राज रहा है। आज उसी चंदेल वंश की गोल्डन गर्ल जमुई का प्रतिनिधित्व करने के लिए मैदान में खड़ी है। यद्द्पि, सर्वथा संयोग, नारी शक्ति की युवा छवि श्रेयसी सिंह इसके पूर्व किसी राजनीतिक दल की सदस्य नहीं रही, पर अटल सरकार में मंत्री रह चुके इनके पिता स्व. दिग्विजय सिंह ने बांका सांसदीय क्षेत्र से जीत का नगाड़ा बजा चुके हैं।
इधर, विधानसभा तक सफर तय करने वाली श्रेयसी को चुनावी अखाड़े में उतरने की चर्चा पर स्वतंत्र लेखक, साहित्यकार व कवि ज्योतिंद्र मिश्र बताते हैं कि नीतीश कुमार ने श्रेयसी को समाज कल्याण विभाग का ब्रांड एम्बेस्डर बनाकर चुनावी झुनझुना जरूर थमाया था पर इनकी कूटनीति को अच्छी तरह समझते हुए श्रेयसी को चुनावी मैदान में।पहुंचने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि गोल्डन गर्ल यदि ने जमुई विधानसभा का प्रतिनिधित्व करती है तो जमुई को अंतरष्ट्रीय पहचान मिलेगी।
इधर, भाजपा द्वारा श्रेयसी को टिकट मिलते ही सोशल साइट पर उभरे स्वयंभू विधायक तार से गिरकर खजूर पर अटकते दिख रहे हैं। श्री मिश्र बताते हैं कि सन 1952 के विधानसभा चुनाव के बाद इस क्षेत्र में किसी ग्लोबल चेहरे को टिकट नहीं दिया गया था। स्पष्ट रुप से गिद्धौरिया बेटी की ग्लोबल छवि जमुई के युवाओं व महिलाओं को आकृष्ट कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह पहली बार होगा जब एक अराजनैतिक युवा चेहरा जमुई की राजनीतिक परिदृश्य को एक नया आयाम दे सकेगा।