
डॉ. विभूति नाथ झा (Dr. Vibhuti Nath Jha) ने बताया कि लीप ईयर होने के कारण ऐसा होता है। इस साल 17 सितंबर को पितृपक्ष की समाप्ति होने पर 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिक मास रहेगा। फिर 17 अक्टूबर से नवरात्रि की शुरुआत होगी और 26 अक्टूबर को समाप्त होगी।
चातुर्मास जो हमेशा 4 महीने का होता है, इस बार 5 महीने का होगा। 25 नवंबर के देवउठनी एकादशी के बाद ही चातुर्मास की समाप्ति हो जाएगी। डॉ. विभूति नाथ झा के अनुसार चतुर्मास में एक ही स्थान पर ईश्वर की आराधना करनी चाहिए, जिससे आपमें तथा आपके आसपास सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
गिद्धौर (Giddhaur) के उलाई नदी के तट पर अवस्थित अतिप्राचीन दुर्गा मंदिर (Durga Mandir Gidhour) में शारदीय दुर्गा पूजा सह लक्ष्मी पूजा समिति द्वारा पूजा कार्यक्रम का आयोजन वर्ष 1996 से किया जा रहा है। पूजा कार्यक्रम की घोषणा श्री रावणेश्वर संस्कृत महाविद्यालय (Shri Ravaneshwar Sanskrit Mahavidyalay) में ज्योतिष विभाग के डॉ. विभूति नाथ झा ने कर दी है। डॉ झा द्वारा जारी कार्यक्रम की सूची के अनुसार कलश स्थापना 17 अक्टूबर को होगी। शेष कार्यक्रम निम्नवत हैं :
22/10/2020 (गुरुवार) - विल्वाभिमन्त्रण
23/10/2020 (शुक्रवार) - पत्रिका प्रवेश
23/10/2020 (शुक्रवार) - महाष्टमी निशापूजा
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24/10/2020 (शनिवार) - महाष्टमी व्रत एवं जागरण
25/10/2020 (रविवार) - महानवमी एवं बलिदान
26/10/2020 (सोमवार) - विजयादशमी एवं प्रतिमा विसर्जन
वहीं शारदीय नवरात्र के ठीक बाद पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजा भी आयोजित किया जाएगा। जिसमें 30 अक्टूबर (शुक्रवार) को लक्ष्मी पूजा होगी। वहीं 31 अक्टूबर (शनिवार) को प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा।
कोरोना महामारी के खौफ़ के बीच सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के मुताबिक ही गिद्धौर में दुर्गा पूजा एवं लक्ष्मी पूजा का आयोजन होगा।