Maura/Gidhaur (संजीवन कुमार सिंह) :- प्राचीन काल से ही मनुष्य परिस्थितियों का दास रहा है। उन परिस्थितियों पर काबू पाने में समाज के कई लोग कामगार साबित होते हैं। बीते दिन मौरा मांझी टोले में नवजात शिशुओं को संरक्षण प्रदान करने वाली परमेश्वर मांझी की पत्नी मोहिनी देवी का निधन उनके परिवार के किसी विषम परिस्थितियों से कम नहीं थी। दिवंगत मोहिनी देवी (दाई माँ) ने सामाजिक सद्भावना के साथ आजीवन अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। बताया जाता है कि 4 पीढ़ी से दाई का काम देखने वाली मोहिनी का जीवनी वर्तमान पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बनी है। बेजान हड्डियां और असूध शरीर के बावजूद मेहनत मजदूरी कर परिवार के मुख्य 4 सदस्यो का पालन पोषण एवं अपने समाज की महिलाओं में भी मिलनसार स्वभाव के रूप में अपना जीवन बिताने पर उनके निधनोप्रांत भीड़ उमड़ पड़ी।
पुराने पीढ़ियों की माने तो, जब मौरा गांव में यातायात की कोई समुचित साधन नहीं थी, आशा व आंगनबाड़ी सेविका नहीं थी, उस समय प्रसुतियों के बीच दिवंगत मोहिनी सर्वोच्च थी। बिना ऑपरेशन किये सुगमतापूर्वक प्रसव करा देना और जच्चा-बच्चा दोनों का अपनी सेवा से सफलतापूर्वक संतुष्ट करा देना दिवंगत मोहिनी की विशेषता थी। अब उनके जाने से एक डोर में बंधे उनके परिवार केे जख्मों पर सहानुभूति का मरहम लगाने के लिए ग्राम पंचायत राज मौरा के मुखिया कांता प्रसाद सिंह ने आर्थिक सहायता प्रदान कर शोकाकुल परिवार को हर सम्भव मदद का आश्वाशन दिया।
इधर, समय के घूमते चक्र में समाए दिवंगत मोहिनीं के परिजन कहते हैं कि दाई मां की कमी मांझी समाज को आजीवन खलती रहेगी।
Edited by - Abhishek Kr. Jha, gidhaur.com