Jamui News (अभिषेक कुमार झा) :-
कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन (Lock Down) के अवधि में बच्चों के शिक्षा पर ग्रहण लग गया है। जिसका सीधा असर निजी विद्यालय (Private School) पर भी पड़ा। इसी को लेकर प्राइवेट स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन जमुई (Private School and Children Welfare Association, Jamui) ने मंगलवार को एक निजी स्कूल के परिसर में एक प्रेस कांफ्रेंस (Press Conference) आयोजित कर मुख्यमंत्री के नाम एक संदेश जारी किया।
इस संदेश के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों ने मुख्यमंत्री से एक वर्ष की आर्थिक सहायता की मांग करते हुए कहा कि सरकार के निर्देशानुसार लॉक डाउन के कारण स्कूलों को तो बन्द कर दिया गया है, लेकिन बच्चों के भविष्य का ख्याल करते हुए लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई (Online Classes) लगातार जारी है। लेकिन स्कूल फीस जमा करने से संबंधित सरकार के स्पष्ट निर्देश के अभाव में और कुछ तथाकथित अभिभावकों के नेताओं के द्वारा भ्रमित किए जाने के कारण सक्षम अभिभावकों ने भी स्कूल फीस जमा करना मुनासिब नहीं समझा है। साथ ही कुछ अभिभावक (Parents/Guardian) लॉक डाउन के कारण उत्पन्न आर्थिक परेशानी के फलस्वरूप भी स्कूल फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मियों को मानदेय नहीं मिल पा रहा है और उनके सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। दूसरी ओर सरकारी शिक्षकों को सरकार कोरोना के कारण लागू छुट्टी की अवधि का भी भुगतान कर रही है। जबकि सरकारी और निजी दोनों ही स्कूलों के शिक्षक समान रूप से बच्चों के भविष्य के लिए समर्पित हैं। ऐसे में निजी स्कूलों की सरकार से मांग है कि निजी स्कूलों के जुड़े शिक्षकों और कर्मियों के हितों की रक्षा के लिए स्कूलों की क्षमताओं के हिसाब से एक वर्ष की आर्थिक सहायता करे, अथवा अभिभावकों को स्कूल फीस जमा करने का निर्देश जारी करे।
इस अवसर पर इस संघ के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण झा ने लॉक डाउन की अवधि का बिजली बिल, गाड़ियों के इन्श्योरेंस से संबंधित डिफॉल्टर बिल, बैंक लॉन (Bank Loan) के अनियमित हुए प्रीमियम के कारण लगने वाले ब्याज आदि को भी माफ करने की मांग सरकार से की है। मौके पर संघ के कई सदस्य मौजूद रहे।
कोरोना को लेकर लगे लॉकडाउन (Lock Down) के अवधि में बच्चों के शिक्षा पर ग्रहण लग गया है। जिसका सीधा असर निजी विद्यालय (Private School) पर भी पड़ा। इसी को लेकर प्राइवेट स्कूल एण्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन जमुई (Private School and Children Welfare Association, Jamui) ने मंगलवार को एक निजी स्कूल के परिसर में एक प्रेस कांफ्रेंस (Press Conference) आयोजित कर मुख्यमंत्री के नाम एक संदेश जारी किया।
इस संदेश के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों ने मुख्यमंत्री से एक वर्ष की आर्थिक सहायता की मांग करते हुए कहा कि सरकार के निर्देशानुसार लॉक डाउन के कारण स्कूलों को तो बन्द कर दिया गया है, लेकिन बच्चों के भविष्य का ख्याल करते हुए लगभग सभी प्राइवेट स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई (Online Classes) लगातार जारी है। लेकिन स्कूल फीस जमा करने से संबंधित सरकार के स्पष्ट निर्देश के अभाव में और कुछ तथाकथित अभिभावकों के नेताओं के द्वारा भ्रमित किए जाने के कारण सक्षम अभिभावकों ने भी स्कूल फीस जमा करना मुनासिब नहीं समझा है। साथ ही कुछ अभिभावक (Parents/Guardian) लॉक डाउन के कारण उत्पन्न आर्थिक परेशानी के फलस्वरूप भी स्कूल फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मियों को मानदेय नहीं मिल पा रहा है और उनके सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है। दूसरी ओर सरकारी शिक्षकों को सरकार कोरोना के कारण लागू छुट्टी की अवधि का भी भुगतान कर रही है। जबकि सरकारी और निजी दोनों ही स्कूलों के शिक्षक समान रूप से बच्चों के भविष्य के लिए समर्पित हैं। ऐसे में निजी स्कूलों की सरकार से मांग है कि निजी स्कूलों के जुड़े शिक्षकों और कर्मियों के हितों की रक्षा के लिए स्कूलों की क्षमताओं के हिसाब से एक वर्ष की आर्थिक सहायता करे, अथवा अभिभावकों को स्कूल फीस जमा करने का निर्देश जारी करे।
इस अवसर पर इस संघ के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण झा ने लॉक डाउन की अवधि का बिजली बिल, गाड़ियों के इन्श्योरेंस से संबंधित डिफॉल्टर बिल, बैंक लॉन (Bank Loan) के अनियमित हुए प्रीमियम के कारण लगने वाले ब्याज आदि को भी माफ करने की मांग सरकार से की है। मौके पर संघ के कई सदस्य मौजूद रहे।