संपादकीय : नेपोटिज्म ने प्रतिस्पर्धा के इस दौर में "सुशांत" को सदा के लिये शांत कर दिया - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - Sushant Sai Sundaram Durga Puja Evam Lakshmi Puja

गुरुवार, 18 जून 2020

संपादकीय : नेपोटिज्म ने प्रतिस्पर्धा के इस दौर में "सुशांत" को सदा के लिये शांत कर दिया

संपादकीय | शुभम मिश्र (सह-संपादक, gidhaur.com) :
आज हमारे राष्ट्र के लोगों को कला एवं मनोरंजन से रूबरू कराने वाला क्षेत्र वालीवुड को, जिन दुर्बल करनेवाली विषम व्याधियों ने बुरी तरह से विषवल्लरी के समान ग्रस लिया है, उसमें परिवारवाद,क्षेत्रवाद एवं जातिवाद का नाम सर्वोपरि है।जो एक दिन वालीवुड के सर्वनाश का समावर्तक कारक बनेगा।यह अग्निवृष्टि हमारे राष्ट्र की प्रतिभा को स्वाहा करते जा रही है।आज सभी के दिलोंजान,प्रतिभावान एवं प्रभावमान व्यक्तित्व स्मृति-शेष सुशांत सिंह राजपूत पर कुछ लोगों द्वारा जिस प्रकार से मानसिक दवाब डाला गया,उन्हें वालीवुड में अछूतों सी दारुण दशा से दयार्द्र होकर काल-कवलित होने हेतु मजबूर होना पड़ा।वो वालीवुड के कुछ लोगों द्वारा उपेक्षा के दारुण दावानल में तिल-तिलकर अंतर्मन में जलते रहे।अंदर-ही-अंदर अनवरत अश्रुप्रवाह करते रहे।फिर भी विरोधों की हिमवृष्टि का सामना सुगमतापूर्वक करते रहे।आखिर कब तक वो अपने स्वाभिमान की रक्षा यूं ही कर पाते..? अंततोगत्वा उन्होंने अपनी ज़मीर को मरने न दिया और मौत को गले लगा लिया।उनका यह कदम वालीवुड पर एक प्रश्न चिन्ह लगा बैठा है।एक प्रतिभावान व्यक्ति की आहुति से वालीवुड के बीभत्स नाटक का पटाक्षेप हो गया है।जिसने बहुत सारे कलाकारों के कराह और कड़वाहट की कहानी सामने ला दी है।

अभिनेत्री कंगना रनौत ने जिस प्रकार से कुछ कलाकारों पर ; इस घटना के बाबत कटाक्ष किया है वो वालीवुड में की जाने वाली घिनौनी राजनीति को बतला रहा है।उनकी बातों ने यह भी बता दिया है कि वालीवुड में टेलेन्ट रहे अथवा न रहे गाॅडफादर वाला बैकग्राउंड होने की आवश्यकता है।यहां शानदार कामों को अनदेखा कर नेपोटिज्म का बोलबाला है।फिर भी देखा जाय तो सुशांत सिंह राजपूत ने अपनी प्रतिभा के बदौलत वालीवुड में एक स्थान पाया।देखा जाए तो प्रतिभावान लोगों की प्रतिभा को यहीं दबाने का काम नहीं किया गया है बल्कि शिक्षा जगत में भी इसे देखा जा सकता है।
शुभम मिश्र, सह-संपादक, gidhaur.com
जहां भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविद् गणितज्ञ स्मृति-शेष वशिष्ठ नारायण सिंह जी को सरकारी तंत्र की अनसुनी एवं लापरवाही ने मानसिक विक्षिप्त बनाकर कुव्यवस्था का शिकार बना दिया।इस चकाचौंध भरी राजनीति ने उनकी प्रतिभा को उचित सम्मान नहीं दिया।जब मीडिया एवं सोशल मीडिया में उनके बारे में बात आने लगी तो नेताओं एवं अधिकारियों के कानों पर जूं रेंगी।इन सारी बातों ने यह साफ़ जाहिर कर दिया है कि प्रतिस्पर्धा के दौर में प्रतिभा का गला घोटना एवं उसे पंगु बनाना आम बात हो गई है।कुछ लोगों ने जो सुशांत सिंह पर कटाक्ष किया था, शायद वे सभी लोग अपने पूराने दिन भूल गये एवं अपने ज़मीर को मार कर यह कदम उठाया।काश ..! सुशांत सिंह राजपूत ये अनुचित क़दम नहीं उठाते और अपने चाहने वालों पर भरोसा करते तो यह दिन हमसभी को नहीं देखना पड़ता। वर्तमान में सुशांत सिंह राजपूत एवं गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह इसके उदाहरण हैं ; जिनके साथ भेदभाव कर उनकी प्रतिभा को मार दिया गया।इनलोगों की कमी हमेशा देश को खलेगी। अतः देश के विकास के लिये लोगों में मानसिक विकास की आवश्यकता है ,जिससे देश के प्रतिभावान को प्रोत्साहन मिल सके।

Post Top Ad -