संपादकीय [सुशान्त साईं सुन्दरम] : गिद्धौर रियासत जिसपर महोबा से आये चंदेल शासकों ने राज किया, उसकी सीमा देवघर तक थी. रानी बगीचा गिद्धौर में तो राजा बगीचा देवघर में अब भी है. हालांकि गिद्धौर का रानी बगीचा तो यथावत है लेकिन देवघर के राजा बगीचा के अधिकांश भूभाग बिक चुके हैं. कहते हैं बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर निर्माण गिद्धौर रियासत के महाराज ने करवाया था. देवाधिदेव महादेव में गिद्धौर रियासत के शासकों की अगाध श्रद्धा की वजह से यहाँ के राजतंत्र को महादेवा राज के नाम से भी संबोधित किया जाता है.
तस्वीर में गिद्धौर राजमहल के पीछे का हिस्सा है. तीन बुजुर्ग व्यक्ति जो बातचीत में मशगूल हैं वे गिद्धौर जो अब प्रखंड मुख्यालय है और पतसंडा पंचायत के में समाहित है, के गुडियापर गांव के ग्वाले हैं. अब चरवाहे लेकिन अतीत में ये गिद्धौर रियासत के लठैत हुआ करते थे. गुडियापर गांव के अधिकांश ग्वालों ने गिद्धौर राजमहल में और रियासत के लिए अपनी सेवा दी है.
कोरोना की महामारी से विश्व त्रस्त है. अब तक बिहार के 38 में 37 जिले कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. बचा है केवल जमुई जिला. गिद्धौर भी जमुई जिला के ही अंतर्गत आता है.
कहते हैं किसी भी रियासत के सेवकों को कभी शत्रुओं से भय नहीं होता. वे हमेशा डट कर मुकाबला करने के लिए तैयार रहते हैं. देश में लॉक डाउन लगा हुआ है, लोग भयाक्रांत हैं. बावजूद ये ग्वाले बेपरवाह गप में मशगूल हैं. इन्हें शायद भरोसा है कि इनके हाथों में जो लाठी है उससे ही हांककर कोरोना को भी भगा देंगे.
गिद्धौर में कोरोना का भय तो है लेकिन ये भी सुनने मिल रहा है कि - 'महादेवा राज है, यहाँ क्या आएगा कोरोना'. बस ईश्वर लोगों के इस भरोसे को कायम रखें. महादेव विश्व और इंसानियत की रक्षा करें.
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(ये लेखक के निजी विचार हैं. सुशान्त साईं सुन्दरम gidhaur.com के एडिटर-इन-चीफ हैं)
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