【न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】:-
गिद्धौर की उलाय नदी के तट पर बसे ढेंकडीह गांव के ग्रामीणों को आज तक पुल मयस्सर नहीं हो सका है। पूल न होने का दर्द ग्रामीणों को अंदर ही अंदर तिसटे रहता है। यह दर्द सिर्फ ढेंकडीह के ग्रामीणों का नहीं बल्कि नदी पार रहने वाले उन हजारो की आबादी का है जो तकरीबन 3 किलोमीटर तक मे निवास करते हैं।
बता दें, गिद्धौर-जमुई मुख्यमार्ग से ढेंकडीह गांव प्रवेश करने के दो मार्ग हैं। पहला जो सोहजना गांव हिट हुए नदी तट पर मिलता है, दूसरा रतनपुर यूको बैंक के सामने से जो नदी तट पर मिलता है। दोनों ही मार्ग से नदी पार कर ही ग्रामीण अपने घर जाते-आते हैं।
पुल के अभाव में वैसे तो ग्रामीणों को बारहों महीने परेशानी उठानी पड़ती है पर, बारिश के मौसम में पुल का यह संकट उनकी आम दिनचर्या व जनजीवन दोनों को संकट में डाल देता रहा है। बरसाती सीजन में एक ओर इधर उलाय नदी रौद्र रूप धारण कर लेती है तो उधर गांववासियों के लिए स्थिति विकट व भयावह बनती देखी गयी है।
ग्रामीण बताते हैं कि बारिश में उलाय नदी के उफान लेने पर अनेकों बार गांव वाले का अपने प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। वैसी परिस्थितियों में सैंकड़ों की आबादी वाले इस गांव के लोगों को 7 किलोमीटर की घुमावदार रास्ता तय कर गिद्धौर आ अपना कार-बार करते हैं।
गहरी व चौड़ी आकार में गांव के सामने बहती इस उलाई उक्त नदी पर एक अदद पुल के लिए गांववासी सरकारी हाकिमों से लेकर सियासतदानों तक गुहार लगा थक चुके हैं, पर उनकी गुहार नक्कारखाने में तूती की आवाज सिद्ध हो रही है।
गिद्धौर की उलाय नदी के तट पर बसे ढेंकडीह गांव के ग्रामीणों को आज तक पुल मयस्सर नहीं हो सका है। पूल न होने का दर्द ग्रामीणों को अंदर ही अंदर तिसटे रहता है। यह दर्द सिर्फ ढेंकडीह के ग्रामीणों का नहीं बल्कि नदी पार रहने वाले उन हजारो की आबादी का है जो तकरीबन 3 किलोमीटर तक मे निवास करते हैं।
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नदी पार करते ग्रामीण |
पुल के अभाव में वैसे तो ग्रामीणों को बारहों महीने परेशानी उठानी पड़ती है पर, बारिश के मौसम में पुल का यह संकट उनकी आम दिनचर्या व जनजीवन दोनों को संकट में डाल देता रहा है। बरसाती सीजन में एक ओर इधर उलाय नदी रौद्र रूप धारण कर लेती है तो उधर गांववासियों के लिए स्थिति विकट व भयावह बनती देखी गयी है।
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सोहजना से ढेंकडीह की ओर जाने का मार्ग |
ग्रामीण बताते हैं कि बारिश में उलाय नदी के उफान लेने पर अनेकों बार गांव वाले का अपने प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। वैसी परिस्थितियों में सैंकड़ों की आबादी वाले इस गांव के लोगों को 7 किलोमीटर की घुमावदार रास्ता तय कर गिद्धौर आ अपना कार-बार करते हैं।
गहरी व चौड़ी आकार में गांव के सामने बहती इस उलाई उक्त नदी पर एक अदद पुल के लिए गांववासी सरकारी हाकिमों से लेकर सियासतदानों तक गुहार लगा थक चुके हैं, पर उनकी गुहार नक्कारखाने में तूती की आवाज सिद्ध हो रही है।