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शिक्षक-सरकार के हठ के बीच पिस रहा है विद्यार्थियों का भविष्य

न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】:-

बिहार में जहां एक तरफ नियोजित शिक्षकों की हड़ताल जारी है वहीं दूसरी तरफ सरकार की हठपनी के बीच नौनिहालों  के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

फिलहाल, सूबे सहित जमुई जिले के विभिन्न प्रखंडों में नियोजित शिक्षकों की चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर विराम लगने के आसार नहीं दिख रहे हैं। नियोजित शिक्षकों की हड़ताल के कारण जिले के अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों में ताले लटक रहे हैं। हड़ताल के एक माह बीतने को है, पर फिलहाल अभी तक सरकार की ओर से कोई वार्ता अथवा आश्वासन की पेशकश भी नहीं हो सकी है।
कहीं इंटर और मैट्रिक की परीक्षा दे चुके परीक्षार्थियों को रिजल्ट की चिंता सता रही है तो कहीं कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा का सफल संचालन करना विभाग के लिए चुनौती सिद्ध हो रही है।  यूं तो कोरोना वायरस को लेकर सरकार ने 16 से 30 तक होने वाले प्रारंभिक स्कूलों की मूल्यांकन परीक्षा को 31 मार्च तक स्थगित कर दिया है।  वहीं नियोजित शिक्षकों ने कोरोना से जागरूकता को लेकर मुहिम छेड़ दी है।
इधर, खबर है कि बीते 17 फरवरी से ही प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के नियोजित शिक्षकों के हड़ताल पर रहने से बच्चों का सिलेबस अधूरा रह गया है। इसको लेकर बच्चे व उनके अभिभावक चिंतित हैं। हालांकि, शिक्षक और सरकार के बीच आर-पार की इस लड़ाई में ये कहना अनुचित होगा कि समय पर मूल्यांकन परीक्षा शुरू हो सकेगी या नहीं। पर इस संदर्भ में जमुई जिले भर के हड़ताली शिक्षकों की यदि माने तो हड़ताल समाप्त नहीं हुई तो बच्चों का वार्षिक मूल्यांकन समय पर शुरू नहीं हो सकेगा। फिर उसके बाद उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की चुनौती भी विभाग के सामने होगी।