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CAA पर BJP के साथ उद्धव की शिवसेना, अपसी मतभेद से जूझ रही महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र में NCP, कांग्रेस और शिव सेना के बीच मन मुटाव की स्थिति. 

👤अक्षय कुमार

सेन्ट्रल डेस्क, 22 Feb, 2020

: मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार दिल्ली आए शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि इस कानून से किसी को डरने की जरूरत नहीं है. उद्धव का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में उबाल ला सकता है.

उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रहे हैं. इस तरफ जहां NCP और कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून का खुलेआम विरोध कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ उद्धव की शिवसेना इसके समर्थन में है. ऐसे में यह माना जा सकता है कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में कहीं न कहीं आपसी मतभेद बना हुआ है.
ऐसे में यह सवाल लाजमी हो जाता है कि बतौर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अगर अपने सहयोगी दलों के खिलाफ इस तरह का बयान देते रहेंगे तो क्या वे गठबंधन संभाल पाएंगे. हाल ही में 2 दिन पहले छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्मोत्सव पर उन्होंने कहा था कि हमने साथ आने में काफी समय लगा दिए, लेकिन अब जब साथ आ गए हैं तो मिलकर सभी अच्छी चीजें करेंगे.
याद दिला दें कि पिछले साल लंबे संघर्ष और कड़ी मशक्कत के बाद साझे की सरकार 28 नवंबर 2019 को अस्तित्व में आई, लेकिन उद्धव ठाकरे की सरकार के शपथ लेने से पहले और उसके बाद कई मुद्दों में शिवसेना, कांग्रेस और NCP के बीच मतभेद की स्थिति बनी रही.
अभी भी कई मुद्दों पर दिख रहा टकराव
1. नागरिकता संशोधन कानून
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर CM उद्धव ठाकरे का खुलकर सामने आकर यह कहना कि नागरिकता संशोधन कानून से किसी को डरने की जरूरत नहीं है और सीएए पर मुसलमानों को डराया जा रहा है, यह प्रदर्शित करता है कि शिवसेना और दोनों अन्य सहयोगी दलों के बीच कहीं न कहीं टकराव की स्थिति बनती जा रही है.
नागरिकता संशोधन कानून पर उद्धव ठाकरे ने मोदी सरकार का समर्थन किया तो कांग्रेस और एनसीपी राज्य में सीएए लागू करने का विरोध कर रहे हैं. जबकि शिवसेना का कहना है कि इस कानून से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी.
2. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR)
सीएए के साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर भी शिवसेना अपने सहयोगी दलों कांग्रेस और एनसीपी से अलग राय रखती है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया कि महाराष्ट्र में NPR की प्रक्रिया को उनकी सरकार आगे बढ़ाएगी. यह बयान इसलिए एक अलग महत्व रखता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद उन्होंने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की.
कांग्रेस और NCP एनपीआर का विरोध कर रही है. एनसीपी एनपीआर में आपत्तिजनक सवाल हटाना चाहती है जबकि शिवसेना की नजर में यह गलत नहीं है. कांग्रेस-NCP के एतराज पर मुख्यमंत्री उद्धव का कहना है कि हर 10 साल में जनगणना होती है और एनपीआर इसका हिस्सा है. एनपीआर किसी को घर से बाहर निकालने के लिए नहीं है. यदि एनपीआर में खतरनाक पहलू सामने आते हैं तब वे इसे देखेंगे.
उद्धव सरकार ने राज्य में 1 मई से एनपीआर प्रक्रिया को शुरू करने की तैयारी की है. जबकि कांग्रेस और एनसीपी एनपीआर के विरोध पर कायम हैं.
3. सावरकर पर अलग-अलग विचार
विनायक दामोदर सावरकर को लेकर भी सहयोगी दलों में मतभेद की स्थिति बनी हुई है. सरकार के गठन से पहले भी इस मुद्दे पर एक राय नहीं बन सकी थी और विवादित मुद्दों से दूर रहने पर रजामंदी बनी थी. लेकिन सावरकर पर कांग्रेस के नेताओं की ओर से बार-बार टिप्पणी किए जाने से शिवसेना को असहज हो जाती है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी कई बार सावरकर पर टिप्पणी कर चुके हैं. यह ऐसा मामला है जिस पर दोनों पक्षों की ओर से लगातार हमले हो ही रहे हैं.
4. भीमा कोरेगांव हिंसा पर विरोध
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच एनआईए से कराने की अनुमति महाराष्ट्र सरकार ने दे दी थी, लेकिन बाद में एनसीपी नेता शरद पवार ने राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख से इस मामले की जांच एसआईटी से कराने की सलाह देकर राज्य सरकार की किरकिरी करा दी थी.
5. कांग्रेस-एनसीपी में भी मतभेद
ऐसा नहीं है कि सिर्फ शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी के बीच मुद्दों पर मतभेद है. राज्य में सरकार बनने के बाद कांग्रेस और एनसीपी के बीच भी मतभेद की खबरें आती रहती हैं. दिल्ली की तर्ज पर कांग्रेस के कोटे से मंत्री बने नितिन राउत ने राज्य में बिजली मुफ्त करने की बात क्या कही कि इसे एनसीपी नेता अजित पवार ने सिरे से खारिज ही कर दिया.
शिवाजी की जयंती पर 2 दिन पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि हमने साथ आने में कई साल बर्बाद कर दिए, लेकिन कोई बात नहीं. मैं पूरे महाराष्ट्र से यह वादा करना चाहता हूं कि अब हम एक साथ आ गए हैं. हम मिलकर सभी अच्छे काम करेंगे. यह मेरा वादा है.' लेकिन साझे की इस सरकार में एक दो नहीं बल्कि कई मुद्दों पर आपसी टकराव की स्थिति खुलकर बाहर आ रही है. ऐसे में देखना होगा कि उद्धव ठाकरे अपने गठबंधन धर्म का पालन कैसे करते हैं और टकराव की स्थिति को खत्म किस तरह से कर पाते हैं.