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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

'कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आए', पुलवामा अटैक में शहीद हुए जवानों को दिल से नमन

पटना : 14 फरवरी 2019 यह दिन भारत का कोई भी जिम्मेदार नागरिक नहीं भूल सकता, क्योंकि इसी दिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकवादी हमले में हमारे देश के 49 सीआरपीएफ के वीर सिपाही देश के लिए शहीद हो गए थे. जिनमें से 40 जवानों के ही पार्थिव शरीर को उनके घर लाया जा सका था क्योंकि अन्य नौजवानों के शरीर का कोई अता-पता नहीं था. धमाका इतना भयंकर किया गया था कि हमारे देश के वीर जवानों के पार्थिव शरीर को देखकर हर हिंदुस्तानी का दिल दर्द से कराह गया. तो सोचिए जिस मां ने उन वीर सपूतों को जन्म दिया था उनका कलेजा कैसे नहीं फटता, कैसे नहीं दुखी होती वह सुहागन जिसके सुहाग आज ही के दिन उजड़ गए थे, कैसे नहीं रोती वह मासूम आंखें जिसके पिता वो वीर जवान थे.

आपको बताए कि जम्मू- कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकवादी हमले में शहीद हुए अर्धसैनिक बलों पार्थिव शरीरों को श्रीनगर से विशेष विमान द्वारा पालम एयरबेस लाया गया था. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने वीर सपूतों को दिल से सलामी दी थी. इसके बाद शहीदों के पार्थिव शरीर उनके पैतृक आवास पहुंचाया गया. जवानों के पार्थिव शरीर जैसे ही उनके पैतृक गांव लाया गया अपने वीर सपूत को यू तिरंगे में लिपटा देख परिवार के लोगों और गांव के लोगों का रो-रो कर बुरा हाल था. पूरे गांव में मातम पसर गया, क्योंकि जिन लोगों ने अपने लाल को देश की रक्षा के लिए खाकी वर्दी में विदा किया था, उसे तिरंगे में लिपटा हुआ देख दिल भले ही गर्व से गदगद हो, लेकिन अपने बेटे को खोने का दर्द किसे नहीं होता. उस दर्द को देखकर दर्द भी शायद कराह गया और सभी का कलेजा उन सबूतों को देखकर फट गया.

जहां एक तरफ पुलवामा में शहादत देने वाले जवानों को पूरा देश सलाम कर रहा था. वहीं दूसरी तरफ देशवासियों मे घटना को लेकर भारी आक्रोश था. इन्हीं आक्रोश के बीच इन जवानों का पूरे राज्यकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. जिसमें हमारे देश के प्रधानमंत्री सहित केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक और आम लोग शामिल हुए और अपने वीर सपूत को पूरे गर्व और सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी. साथ ही उन्हें अपने दिलों में पूरे जीवन के लिए अमर कर लिया.

आपको बता दें कि पुलवामा में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर सीआरपीएफ के काफिले में जिस बस पर विस्फोटकों से भरी गाड़ी ने टक्कर मारी थी, ये जवान उससे पीछे चल रहे वाहन पर सवार थे. इस वाहन पर साजिश के जरिए विस्फोट किया गया था.
जवानों के अंतिम संस्कार के बाद सरकार ने इस हमले के लिए जांच टीम बैठाई. जिसमें कई लोगों के नाम सामने आए. जिसमें  हमलावर की पहचान आदिल अहमद के रूप में की गई थी. पुलिस जांच में सामने आया कि इस आतंकी हमले की योजना दक्षिण कश्मीर के त्राल इलाके के मिदूरा में बनाई गई थी. जैश के सदस्यों ने इस घटना के दो दिन पहले ही ट्विटर पर पर इस तरह की किसी घटना को होने की जानकारी देते हुए वीडियो अपलोड किया था और इस घटना की पूरी जिम्मेदारी ली थी जिसको पाकिस्तान ने बाद में नकार दिया.

आज हमारे देश के युवा भले ही 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाते हो, लेकिन आज के दिन यदि इन जवानों को याद ना किया जाए, तो ये कहीं न कहीं देश के सपूतों की शहादत की तौहीन होगी. जो किसी भी तरीके से देशप्रेम को परिभाषित नहीं करती है. इसलिए हमें अपने देश की रक्षा करने वाले जवानों की बलिदान को दिल से याद करना चाहिए. इसलिए एक भारतीय और देशभक्त होने के नाते सभी जवान जो पुलवामा अटैक में शहीद हुए थे, उन्हें दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहिए, ना कि विदेशी परंपरा का वैलेंटाइन डे मनाना चाहिए.
आज के दिन भारत के हर युवा को एक संकल्प लेना चाहिए कि 14 फरवरी के वैलेंटाइन डे की पहचान को बदलकर पुलवामा अटैक में शहीद हुए वीर जवानों की शहादत के रूप में याद करेंगे, ताकि हर वो वीर जवान जिसने देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था उसकी आत्मा को, उसकी रूह को शांति मिले और आगे भी देश का युवा देश की रक्षा के लिए बॉर्डर पर जाने के लिए प्रेरित हो.

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