बड़े पापा डॉ. श्यामानंद प्रसाद अपनी किताब 'जमुई का इतिहास और पुरातत्व' में लिखते हैं कि 'गिद्धौर का राजत्व इतना महत्वपूर्ण था कि इसे कभी वीरभूम के शासक का आक्रमण, तो कभी अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण झेलना पड़ा।' आगे वे लिखते हैं, 'गिद्धौर से तात्पर्य केवल वर्तमान पतसंडा/परसंडा (गिद्धौर) नामक स्थानविशेष से नहीं लेना चाहिए, बल्कि यह सम्पूर्ण जमुई-प्रदेश कभी गिद्धौर कहा जाता था।'
वर्तमान में जमुई जिला का आठ पंचायतों वाला गिद्धौर एक प्रखंड मुख्यालय है। इस प्रखंड के अंतर्गत सेवा ग्राम पंचायत भी है। इस गांवका जिक्र इसलिए आवश्यक हो जाता है कि कभी राजवाड़ा रहा गिद्धौर वर्तमान में भी अतीत के अवशेषों को अपने आप में समाहित किये हुए है। कहते हैं राजतंत्र के जमाने में राज्य के प्रत्येक परिवार से कमोबेश एक व्यक्ति जरूर ही योद्धा अथवा सैन्य में हुआ करता था।
सेवा गांव की अधिकांश जनसंख्या राजपूत या यादव हैं। यह भी इतिहास में वर्णित है कि राजपूत और यादव कुल योद्धाओं का कुल रहा है। शायद यह भी एक वजह है कि गिद्धौर प्रखंड का सेवा गांव वर्तमान में सैन्य शक्तियों में अपना योगदान दे रहा है।
बचपन के मित्र हैं मुकेश। सेवा निवासी हैं। कद-काठी भी सैनिकों जैसी है। ख्वाहिश उनकी सेना में जाने की है। बताते हैं कि सेवा के हर दूसरे-तीसरे परिवार से एक न एक व्यक्ति किसी न किसी सैन्य शक्ति, यथा - आर्मी, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, बिहार पुलिस में कार्यरत है। मुकेश को इसके लिए तैयारी करते भी देखा है। कहते हैं गिद्धौर के महाराज चंद्रचूड़ विद्यामंदिर के खेल मैदान की मिट्टी बिना शरीर में लगाये सैन्य शक्ति में जाने का रास्ता ही नहीं खुलता। इसलिए रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क की लंबी दौड़ और कुमार सुरेंद्र सिंह स्टेडियम में कसरत के साथ महाराज चंद्रचूड़ विद्यामंदिर के खेल मैदान ओर भी पसीना बहाना पड़ता है।
यह थीम इसलिए बनाया मैनें क्योंकि आज राष्ट्र पुलवामा हमले की पहली बरसी मना रहा है। पश्चिमी सभ्यता के प्रेम सप्ताह (वैलेंटाइन वीक) का आज 14 फरवरी अंतिम दिन माना जाता है। यानी वैलेंटाइन डे आज है। इंटरनेट के आ जाने और डेटा पैक सस्ता हो जाने की वजह से भारत में भी वैलेंटाइन डे मनाने का प्रचलन बढ़ा है। आज ही के दिन वर्ष 2019 में जहाँ प्रियतम अपनी प्रियतमा के साथ प्रेम की पींगें बढ़ाने में लगे थे, वहीं देश सेवा में लगे माँ भारती के वीर पुत्रों को छलपूर्वक आतंकियों ने विस्फ़ोट कर शहीद कर दिया।
यूँ तो पुलवामा हमले में देश के 49 सपूत वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन पार्थिव शरीर केवल 40 का ही मिल सका, वह भी पूर्ण नहीं, क्षत विक्षत। शरीर के अगणित टुकड़ों के डीएनए मिलाकर उन टुकड़ों को इकट्ठा कर शहीदों के घर पहुंचाया गया। प्रासंगिक है कि पिता का साया सर से उठ जाने के बाद भी उसकी वर्दी पहन पिता को अंतिम सलाम दे रही बेटी का चेहरा आज भी सबके ज़ेहन में है।
कठिन परिश्रम, तप और त्याग कर ही देशसेवा में लोग पहुंचते हैं। आज का दिन न केवल वीरगति को प्राप्त हुए शहीदों की शहादत को याद कर उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देने का है, बल्कि उनके परिजनों के त्याग और समर्पण का वंदन करने का भी है। यह जानते हुए भी कि लंबे समय से सीमाओं पर तनाव का माहौल है, पड़ोसी मुल्कों द्वारा आये दिन कायराना कृत्य किये जाते हैं, बावजूद इसके देश प्रेम का बीज हृदय में दबाए राष्ट्र सुरक्षा में अपने लहू के कतरों का योगदान देने के लिए लालायित वर्षों से मेहनत कर रहे मुकेश जैसे साथियों के सपनों के फलीभूत होने की कामना करने का भी है।
गिद्धौर सहित सम्पूर्ण जमुई जिला सदैव से ही राष्ट्र को अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने को आतुर रहा है। उन सभी को सलाम करने का दिन है जो राष्ट्र प्रहरी बनकर हमारी सुरक्षा में लगे हैं। उन्हें श्रद्धांजलि देने का दिन है जो अब लौटकर ना आएंगे। साथ ही उनके लिए शुभकामना करने का दिन है जो गिद्धौर और जमुई की मिट्टी में लोटकर, उसे अपने सीने में लगाये माँ भारती की रक्षा करने किसी न किसी सैन्य शक्ति के सदस्य बनने वाले हैं।
जय हिंद!
[लेखक gidhaur.com के एडिटर-इन-चीफ हैं]
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