【न्यूज़ डेस्क| अभिषेक कुमार झा】
नये साल के स्वागत की तैयारियां जोरशोर से शुरु है। हालांकि बदलते परिवेश में एक-दूसरे को बधाई देने के तौर- तरीके पर व्यापक बदलाव आया है।
महज एक दशक पहले तक नववर्ष की बधाइयां ग्रीटिंग कार्ड के माध्यम से दी जाती थी। हांलाकि सूचना क्रांति ने ग्रीटिंग कार्ड प्रथा को समाप्त करने में महती भूमिका निभाई है। रही-सही कसर सोशल मीडिया ने पूरी कर दी। यही कारण है कि नए वर्ष के अवसर पर ग्रीटिंग कार्ड बेचकर हजारों कमाने वाले हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। आलम यह है, कि दो-तीन वर्ष पुराने स्टाक के कार्ड धूल फांक रहे हैं। यदा कदा किसी को ग्रीटिंग कार्ड की खरीदारी करते देखा जा रहा है।
झाझा डीएसपी आवास के समीप स्थित श्रृंगार दुकान के प्रो. चंदन शर्मा बताते हैं कि नववर्ष और क्रिसमस आते ही बाजार ग्रीटिंग कार्ड से पट जाती थी , तथा खरीदारों का दुकानों पर तांता लग जाता था। लेकिन अब बाजारों में इक्का-दुक्का ही ग्रीटिंग कार्ड की दुकानें देखी जा रही है। फेसबुक व व्हाट्सएप के जरिए चाहने वालों को अपनी भावना से अवगत करा देते हैं। लिहाजा हम दुकानदारों का बचा-खुचा बिजनेस भी सोशल मीडिया ने छीन लिया है।