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गिद्धौर : झोला छाप डॉक्टर से बच्ची का हुआ इलाज, बिगड़ गयी तबियत



【न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】:-

गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र में इन दिनों झोला छाप चिकित्सकों के ग्राफ में बढ़ोतरी देखी जा रही है। ये वो डॉक्टर होते हैं जिन्हें न तो समुचित इलाज का अनुभव होता है और न ही मरीजों के साथ व्यवहारिकता का। अब इसे मजबूरी कहें या सरकारी उदासीनता , अभी भी ग्रामीण क्षेत्र के लोग स्वास्थ्य केन्द्र की ओर कूच न करके इन झोला छाप चिकित्सकों के दरवाजे पर दस्तक देना ज्यादा मुनासिब समझते हैं। ये मजबूरी कभी- कभी मरीजों के साथ-साथ उनके परिजनों के लिए शारीरिक और आर्थिक दोहन का कारण बनती है।

फ़ोटो- अर्चना।

 ताजा उदाहरण गिद्धौर प्रखण्ड क्षेत्र के गंगरा पंचायत अंतर्गत तारडीह गांव का है जहां लालो रविदास की पुत्री अर्चना कुमारी बीमार होने पर स्थानीय झोला छाप चिकित्सक के इलाज से उसकी हालत और गम्भीर हो गयी।
एकत्रित जानकारी अनुसार, ग्रामीण चिकित्सक के इलाज से जब अर्चना की तबियत और बिगड़ी तब उसके परिजनों ने उसे गिद्धौर स्थित दिग्विजय सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया। परिजन बताते हैं कि पिछले कुछ दिनों से अर्चना ज्वार (fever) से पीड़ित थी, जिसको लेकर गांव के ही एक डॉक्टर से दिखाकर दवाई दिलाई। अगले दिन बुलाने पर फिर उक्त डॉक्टर के पास पहुंचे तब उन्होंने अर्चना को सुई लगाई और अचानक से अर्चना की तबियत और बिगड़ने लगी और इसे गिद्धौर अस्पताल लाना पड़ा।

इधर, पीएचसी में डियूटी पर मौजूद डॉ. प्रदीप कुमार ने अर्चना का प्राथमिक उपचार कर इसके बेहतर इलाज के लिए जमुई सदर अस्पताल भेज दिया। डॉ. प्रदीप ने इस तरह के मामले से विभाग को अवगत करने की बात कही।
विदित हो, गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के कई सुदूर गावों से इस तरह के मामले सामने आते रहे हैं, पर विभाग है कि इन पर कार्रवाई करने के बजाए आखें मूंदे बैठा है यही वजह है कि नीम-हकीमों की सेहत पर कोई खास असर पड़ता नहीं दिख रहा।