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हैदराबाद रेप-मर्डर के सभी 4 आरोपी एनकाउंटर में ढेर


06 DEC 2019

हैदराबाद : हैदराबाद में एक युवा महिला पशु चिकित्सक की निर्मम सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के एक सप्ताह बाद पुलिस ने शादनगर के पास एक कथित 'मुठभेड़' में चारों आरोपियों को मार गिराया। आरोपी शुक्रवार अल सुबह तब मारे गए जब उन्होंने कथित तौर पर पुलिस से हथियार छीन लिए और हैदराबाद से करीब 50 किलोमीटर दूर शादनगर के पास चटनपल्ली से भागने की कोशिश की।

पुलिस सूत्रों ने कहा कि आरोपियों को उसी स्थान पर ढेर कर दिया गया जहां उन लोगों ने 27 नवंबर की रात को हैदराबाद के बाहरी इलाके में शमशाबाद के पास पीड़िता को सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बनाने और हत्या करने के बाद उसके शव को जलाकर फेंक दिया था।

जांच के हिस्से के रूप में क्राइम सीन रिक्रिएट करने के लिए आरोपियों को मौके पर ले जाया गया था, जहां आरोपियों ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस ने उन्हें मार गिराया।

मुठभेड़ में मारे गए चार अभियुक्तों की पहचान लॉरी चालक मोहम्मद आरिफ (26) और चिंताकुंटा चेन्नाकेशवुलु (20) और लॉरी क्लीनर जोलू शिवा (20) और जोलू नवीन (20) के रूप में हुई है। सभी तेलंगाना के नारायणपेट जिले के रहने वाले थे।

साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वी. सी. सज्जनार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी फौरन 'मुठभेड़ स्थल ' पहुंच गए।

जैसे ही 'मुठभेड़' की खबर फैली, लोग हैदराबाद-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग पर घटनास्थल के पास जुट गए।

इन चारों को पुलिस ने 29 नवंबर को गिरफ्तार किया था और अगले दिन शादनगर की एक अदालत ने उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। बाद में उन्हें हैदराबाद के चेरलापल्ली जेल में भेज दिया गया।

एक अदालत ने बुधवार को आरोपियों को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। माना जा रहा है कि पुलिस ने आरोपियों को गुरुवार को हिरासत में ले लिया था। यह गोपनीय ढंग से किया गया था क्योंकि पुलिस को लोगों के संभावित विरोध के कारण कानून और व्यवस्था की समस्या खड़ी होने की आशंका थी।

30 नवंबर को शादनगर पुलिस स्टेशन के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया जब आरोपियों को अदालत में ले जाया जा रहा था। सैकड़ों लोगों ने मांग की कि आरोपियों को उन्हें सौंप दिया जाए।

अपराधियों को तत्काल मौत की सजा देने की मांग के साथ निर्मम दुष्कर्म और हत्या को लेकर देश भर में विरोध की लहर देखने को मिली। पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। कई लोगों ने आरोपियों को सार्वजनिक रूप से फांसी दिए जाने की मांग की थी।

तेलंगाना सरकार ने 4 दिसंबर को जल्द सुनवाई के लिए महबूबनगर में एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट की स्थापना की थी।