जमुई (रवि कश्यप) :-
जमुई - एक शहर जो हर तरह से पिछड़ा माना जाता है, जहाँ से कई विभूतियों ने अपनी राजनीति चमकाया, पर यहाँ की प्रतिभाओं पर किसी की नज़र नहीं गयी। हर सुविधाओं से वंचित रहने के वाबजूद भी जमुई के कई लालों ने अपनी विलक्षण प्रतिभाओं से अलग अलग प्रतियोगिताओं में जमुई का नाम गौरवपूर्ण तरीके से विभूषित किया।
इन्हीं में से एक जमुई के एक छोटे से गाँव जो नदी के किनारे शहर से दूर कटा हुआ सोनपै में जन्मे रोहित सिंह ने आज अपनी प्रतिभा को दिखाते हुए बिहार का नाम रौशन कर दिया। जिन्होंने जेवलिन थ्रॉ में 67.77 मीटर दूर तक भाला फेंक कर सिल्वर मेडल हासिल कर द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इससे पहले भी कई बार रोहित को राज्यस्तरीय कई प्रतियोगिताओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर जिले का नाम रोशन किया। राष्ट्रीय स्तर पर एथलीट रोहित सिंह ने यह भी साबित कर दिया कि अगर हौसलें बुलंद हो तो मंजिल छोटे बड़े शहर को देख कर नहीं आती और जमुई (बिहार) भी किसी खेल में पीछे नहीं है।
बता दें कि पंजाब के संगरूर में 11 दिसंबर से 15 दिसंबर तक चले 65वें नेशनल स्कूल गेम्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में यह कारनामा कर दिखाया।
*- संसाधनों से जूझते रहे रोहित-*
एथलीट रोहित सिंह की सफलता पर आज हर कोई खुश हैं लेकिन रोहित के पिता रामदेव सिंह जो होमगार्ड के जवान हैं और माँ मंजू देवी गृहणी हैं, ने बताया कि रोहित का लगाव शुरू से ही खेलों के प्रति रहा बचपन में नदी में पुल न होने की वजह से इसे शहर में होने वाले प्रतियोगिता और अन्य प्रैक्टिस का पता नहीं चल पाता था,माता पिता ने उसके खेल के प्रति लगाव को बढ़ावा दिया।
साधारण परिवार से आने वाला रोहित अपने नाना के घर (बिठलपुर) में रहने लगा और पूरे लगन से अभावों के वावजूद अपने सपनों को जिंदा रखा और जीतोड़ मेहनत किया। जिसका परिणाम आज हम सबके लिए गौरवान्वित किया।
जिले के एथलीट सूरज कुमार आशुतोष ने भी कहा कि रोहित के प्रदर्शन ने जिले के साथ पूरे बिहार और देश का नाम ऊंचा किया। रोहित के इस उपलब्धि से जिले के अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी,और छोटे गाँव से आनेवाले खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ेगा।
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