【न्यूज डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-
स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही गिद्धौर प्रखण्ड के दिग्विजय सिंह समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में देखने को मिली जहां, परिवार नियोजन को ले विभागीय आदेश पर बंध्याकरण करने पहुंची मेरी स्ट्रोप नामक एक निजी संस्था द्वारा एक महिला को अर्धबेहोशी में ही बंध्याकरण करने का मामला प्रकाश में आया।
एकत्रित जानकारी अनुसार, गिद्धौर निवासी विकाश रंजन की पत्नी मंगलवार को परिवार नियोजन के लिए गिद्धौर के उक्त अस्पताल में अपना निबंधन कराया। परिक्रियाओं से गुजरते हुए जब मरीज को कक्ष में ले जाया गया तो उसके कुछ देर बाद उनके चीखने चिल्लाने की आवाज आई, जिसे सुनकर उनके पति विकाश रंजन पहुंचे और देखा कि उनकी पत्नी दर्द से व्याकुल है। पता करने पर उन्होंने पाया कि अर्धबेहोशी में ही उनकी पत्नी का बंध्याकरण किया गया, जिससे उन्हें बेतहाशा दर्द सहना पड़ा। अर्धबेहोशी में दर्द के कारण ये बंध्याकरण बीच मे ही रोकना पड़ा, जिससे वो अधूरा ही रह गया। दर्द से पीड़ित पत्नी की हालत देख उनके पति सहित अन्य महिलाएं भी प्रबंधन और अस्पताल में व्याप्त व्यवस्था पर सवाल उठाने लगे। देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ा और कक्ष में ही बवाल खड़ा हो गया।
बांध्याकरण के लिए 17 महिलाओं ने कराया था निबंधन -
गिद्धौर पीएचसी में इस दौरान बन्धयाकरण के लिए कुल 17 महिलाओं ने निबंधन कराया था। इनमें से तीन महिलाओं में खून की कमी के कारण बंध्याकरण के लिए फिट घोषित नही किया। इसके बाद शेष बचे 14 महिलाओं को बंध्याकरण के लिए एडमिट किया गया। इन 14 मे से ही एक उक्त महिला का बंध्याकरण असफल रहा।
बवाल व लापरवाही को देख सहम गए थी अन्य महिलाएं -
बंध्याकरण के तौर तरीके तथा अस्पताल में प्रबंधन को देखते हुए जब यह मामला पूरे अस्पताल पर फैला इस दौरान परिवार नियोजन के लिए आई अन्य महिलाएं सहम गई। परिस्थितियों के सामान्य होने तक कोई भी महिला बंध्याकरण के लिए राजी नहीं हुई थी।
*gidhaur.com ने कैमरे में कैद की अस्पताल की कुव्यवस्था*
बवाल शांत होने के बाद जब मंगलवार की रात्रि फिर से gidhaur.com टीम हॉस्पिटल पहुंची तो कुव्यवस्था के कई तस्वीर को कैमरे में कैद किया गया। महिला व उनके परिजनों से भरा 3 कक्ष बदबू बिखेर रहे थे। ठंड रात में चिकनी और ठंडी फ़र्श पर महज एक दरी और कम्बल में ही रात बिताते नजर आए। हर कोई इस घटना का ही जिक्र करते हुए प्रबंधन व विभाग को कोस रहे थे।
-बोले पीड़िता के पति - संस्था नहीं दे रहा मुआवजा
पीड़िता के पति विकाश रजन ने बताया कि उनकी पत्नी रूबी रंजन विभाग व प्रबंधन के लापरवाही की शिकार हुई है। इस लापरवाही की जिम्मेदारी न तो विभाग लेने को तैयार है और न ही निजी संस्था। उन्होंने कहा कि इस तरह के विधि - व्यवस्था में किसी अन्य के साथ कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। विकाश बताते हैं कि इस लापरवाही से तीन महीने के बाद पुनः मेरी पत्नी को बंध्याकरण के प्रक्रिया से गुजरना होगा, पर निजी संस्था किसी भी प्रकार के जुर्माने से इनकार कर रहा है। अब इसको लेकर यदि पत्नी रूबी रंजन की किसी भी प्रकार की क्षति होती है तो इसका जिम्मेदार उक्त संस्था के साथ साथ अस्पताल प्रबंधन भी होगा।
- *कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी* -
डॉ. राम स्वरूप चौधरी ने कहा कि ये बंध्याकरण की जिम्मेदारी निजी संस्था को दी गयी थी। आगामी फरवरी 2020 में पीड़िता का पूर्णतः बंध्याकरण किया जाएगा।
- क्या कहते हैं अधिकारी -
इस बाबत सीएस श्याम मोहन दास कहते हैं कि
मामला उनके संज्ञान में है। जांच का जिम्मा अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सौंप दी गयी है। जांचोपरांत उचित निर्णय लिया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही गिद्धौर प्रखण्ड के दिग्विजय सिंह समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में देखने को मिली जहां, परिवार नियोजन को ले विभागीय आदेश पर बंध्याकरण करने पहुंची मेरी स्ट्रोप नामक एक निजी संस्था द्वारा एक महिला को अर्धबेहोशी में ही बंध्याकरण करने का मामला प्रकाश में आया।
एकत्रित जानकारी अनुसार, गिद्धौर निवासी विकाश रंजन की पत्नी मंगलवार को परिवार नियोजन के लिए गिद्धौर के उक्त अस्पताल में अपना निबंधन कराया। परिक्रियाओं से गुजरते हुए जब मरीज को कक्ष में ले जाया गया तो उसके कुछ देर बाद उनके चीखने चिल्लाने की आवाज आई, जिसे सुनकर उनके पति विकाश रंजन पहुंचे और देखा कि उनकी पत्नी दर्द से व्याकुल है। पता करने पर उन्होंने पाया कि अर्धबेहोशी में ही उनकी पत्नी का बंध्याकरण किया गया, जिससे उन्हें बेतहाशा दर्द सहना पड़ा। अर्धबेहोशी में दर्द के कारण ये बंध्याकरण बीच मे ही रोकना पड़ा, जिससे वो अधूरा ही रह गया। दर्द से पीड़ित पत्नी की हालत देख उनके पति सहित अन्य महिलाएं भी प्रबंधन और अस्पताल में व्याप्त व्यवस्था पर सवाल उठाने लगे। देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ा और कक्ष में ही बवाल खड़ा हो गया।
बांध्याकरण के लिए 17 महिलाओं ने कराया था निबंधन -
गिद्धौर पीएचसी में इस दौरान बन्धयाकरण के लिए कुल 17 महिलाओं ने निबंधन कराया था। इनमें से तीन महिलाओं में खून की कमी के कारण बंध्याकरण के लिए फिट घोषित नही किया। इसके बाद शेष बचे 14 महिलाओं को बंध्याकरण के लिए एडमिट किया गया। इन 14 मे से ही एक उक्त महिला का बंध्याकरण असफल रहा।
बवाल व लापरवाही को देख सहम गए थी अन्य महिलाएं -
बंध्याकरण के तौर तरीके तथा अस्पताल में प्रबंधन को देखते हुए जब यह मामला पूरे अस्पताल पर फैला इस दौरान परिवार नियोजन के लिए आई अन्य महिलाएं सहम गई। परिस्थितियों के सामान्य होने तक कोई भी महिला बंध्याकरण के लिए राजी नहीं हुई थी।
*gidhaur.com ने कैमरे में कैद की अस्पताल की कुव्यवस्था*
बवाल शांत होने के बाद जब मंगलवार की रात्रि फिर से gidhaur.com टीम हॉस्पिटल पहुंची तो कुव्यवस्था के कई तस्वीर को कैमरे में कैद किया गया। महिला व उनके परिजनों से भरा 3 कक्ष बदबू बिखेर रहे थे। ठंड रात में चिकनी और ठंडी फ़र्श पर महज एक दरी और कम्बल में ही रात बिताते नजर आए। हर कोई इस घटना का ही जिक्र करते हुए प्रबंधन व विभाग को कोस रहे थे।
-बोले पीड़िता के पति - संस्था नहीं दे रहा मुआवजा
पीड़िता के पति विकाश रजन ने बताया कि उनकी पत्नी रूबी रंजन विभाग व प्रबंधन के लापरवाही की शिकार हुई है। इस लापरवाही की जिम्मेदारी न तो विभाग लेने को तैयार है और न ही निजी संस्था। उन्होंने कहा कि इस तरह के विधि - व्यवस्था में किसी अन्य के साथ कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। विकाश बताते हैं कि इस लापरवाही से तीन महीने के बाद पुनः मेरी पत्नी को बंध्याकरण के प्रक्रिया से गुजरना होगा, पर निजी संस्था किसी भी प्रकार के जुर्माने से इनकार कर रहा है। अब इसको लेकर यदि पत्नी रूबी रंजन की किसी भी प्रकार की क्षति होती है तो इसका जिम्मेदार उक्त संस्था के साथ साथ अस्पताल प्रबंधन भी होगा।
- *कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी* -
डॉ. राम स्वरूप चौधरी ने कहा कि ये बंध्याकरण की जिम्मेदारी निजी संस्था को दी गयी थी। आगामी फरवरी 2020 में पीड़िता का पूर्णतः बंध्याकरण किया जाएगा।
- क्या कहते हैं अधिकारी -
इस बाबत सीएस श्याम मोहन दास कहते हैं कि
मामला उनके संज्ञान में है। जांच का जिम्मा अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को सौंप दी गयी है। जांचोपरांत उचित निर्णय लिया जाएगा।