पटना | अनूप नारायण :
बिहार के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। संसाधनों की कमी के बावजूद युवा कठिन मेहनत और लगन से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की मिशाल पेश कर रहे हैं। ऐसा ही चर्चित गांव का एक बेटा संगीत के शिखर पर पहुंचकर देश विदेश में रेणू माटी का नाम रोशन कर रहे हैं। कुर्साकाटा प्रखंड क्षेत्र के पलासमणि गांव के मणि कुमार झा और उनका परिवार भक्ति संगीत और गजल गायिकी के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़कर दर्जनों पुरस्कार बटोरे हैं। संगीत को कैरियर बनाकर दिल्ली महानगर में पत्नी किरण झा, पुत्र अवनीश झा, पुत्री दीया झा के साथ शास्त्रीय संगीत से लेकर भक्ति संगीत में अपनी अलग पहचान बनाई है।
इतना ही नहीं जापान, सिगापुर, थाईलैंड, मलेशिया में भी सांस्कृतिक समारोह में मणि कुमार अपने कला कौशल का शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं। दिल्ली से लेकर अररिया के गांव-गांव तक उनके हजारों चहेते हैं। वे युवाओं को संगीत के प्रति झुकाव रखने का संदेश देते हुए कहा कि संगीत आत्मा की आवाज है जिससे न सिर्फ दौलत मिलती है बल्कि शोहरत और इज्जत भी मिलती है। मणि कुमार ने पटना में भेंटवार्ता के दौरान उन्होने बताया कि कठिन परिश्रम और संगीत साधना से उन्हें जो मुकाम हासिल हुआ है उनका श्रेय उनके गुरू सह नाना धर्मानंद झा तथा ससुर श्यामनंदन झा को जाता है। पिता के इज्जत और शोहरत को देखकर उनके बेटे बेटी ने भी संगीत को अपना कैरियर बनाया है। मनी कुमार ने बताया कि जब मंच पर एकसाथ उनका पूरा परिवार संगीत की तान छेड़ते हैं तो लोगों का सहसा यकीन नही होता है कि ये सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि उनकी संगीत साधना में पत्नी किरण देवी का भी अमूल्य योगदान है। सरस्वती के वरदान से उनका परिवार काफी खुश है। उनके भक्ति संगीत के कई एल्बम भी बाजार में धूम मचाया है। उन्होंने बताया कि संगीत से जीवन में सरलता, कोमलता, एकता और माधुर्य को बढ़ावा देता है।
बिहार के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। संसाधनों की कमी के बावजूद युवा कठिन मेहनत और लगन से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की मिशाल पेश कर रहे हैं। ऐसा ही चर्चित गांव का एक बेटा संगीत के शिखर पर पहुंचकर देश विदेश में रेणू माटी का नाम रोशन कर रहे हैं। कुर्साकाटा प्रखंड क्षेत्र के पलासमणि गांव के मणि कुमार झा और उनका परिवार भक्ति संगीत और गजल गायिकी के क्षेत्र में अमिट छाप छोड़कर दर्जनों पुरस्कार बटोरे हैं। संगीत को कैरियर बनाकर दिल्ली महानगर में पत्नी किरण झा, पुत्र अवनीश झा, पुत्री दीया झा के साथ शास्त्रीय संगीत से लेकर भक्ति संगीत में अपनी अलग पहचान बनाई है।
इतना ही नहीं जापान, सिगापुर, थाईलैंड, मलेशिया में भी सांस्कृतिक समारोह में मणि कुमार अपने कला कौशल का शानदार प्रदर्शन कर चुके हैं। दिल्ली से लेकर अररिया के गांव-गांव तक उनके हजारों चहेते हैं। वे युवाओं को संगीत के प्रति झुकाव रखने का संदेश देते हुए कहा कि संगीत आत्मा की आवाज है जिससे न सिर्फ दौलत मिलती है बल्कि शोहरत और इज्जत भी मिलती है। मणि कुमार ने पटना में भेंटवार्ता के दौरान उन्होने बताया कि कठिन परिश्रम और संगीत साधना से उन्हें जो मुकाम हासिल हुआ है उनका श्रेय उनके गुरू सह नाना धर्मानंद झा तथा ससुर श्यामनंदन झा को जाता है। पिता के इज्जत और शोहरत को देखकर उनके बेटे बेटी ने भी संगीत को अपना कैरियर बनाया है। मनी कुमार ने बताया कि जब मंच पर एकसाथ उनका पूरा परिवार संगीत की तान छेड़ते हैं तो लोगों का सहसा यकीन नही होता है कि ये सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि उनकी संगीत साधना में पत्नी किरण देवी का भी अमूल्य योगदान है। सरस्वती के वरदान से उनका परिवार काफी खुश है। उनके भक्ति संगीत के कई एल्बम भी बाजार में धूम मचाया है। उन्होंने बताया कि संगीत से जीवन में सरलता, कोमलता, एकता और माधुर्य को बढ़ावा देता है।
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