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जमुई के रवि सुलभ व सुगम तरीके से बच्चों को दे रहे हैं संस्कृत की शिक्षा


जमुई (संवाददाता) :-

जिले के एक टीचर ने गांव के बच्चों को संस्कृत शिक्षा देने का अनोखा तरीका निकाला है. इन्होंने खुद विज्ञान और पत्रकारिता की पढ़ाई की है, लेकिन अपने गांव के बच्चों को संस्कृत विषय में पिछड़ता देख इस विषय को आसान बनाने की ठान ली। वह अपनी लगन और मेहनत के दम पर बिना किसी औपचारिक डिग्री के खेल-खेल में गांव के बच्चों को संस्कृत की मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं। वहीं, अब गांव के बच्चों के परीक्षा में अच्छे अंक भी आने लगे हैं।


विठलपुर गांव निवासी रवि मिश्रा साधारण परिवार से आते हैं। उन्होंने महानगर में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की है. भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में एम. ए. भी किया है। उन्होंने बताया कि गांव की संस्कृति से मोह ने उन्हें शहर में नहीं रहने दिया. इसलिए वह पत्रकारिता की डिग्री हासिल कर भोपाल से गांव वापस लौट आए. गांव लौटने के बाद उन्हें बच्चो के संस्कृत विषय में कमजोर होने की जानकारी मिली. तो रवि ने खुद बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया। आज रवि की इस कक्षा में उनके गांव के ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के बच्चे भी शामिल होते हैं. यहां पढ़ाई मुफ्त है, लेकिन अगर कोई शुल्क देना चाहे तो कुछ भी दे सकता है।
उन्होंने बताया कि हमारे देश की संस्कृति को जानने-समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान काफी जरूरी है. इसलिए मैंने ये राह चुनी है. बता दें कि ग्रामीण इलाकों के बच्चों को रवि खेल-खेल में संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं. वे गीत-संगीत के साथ संस्कृत के श्लोक या व्याकरण के नियम याद रखने की ट्रिक बताते हैं, जिससे बच्चों के लिए इस विषय की पढ़ाई आसान हो जाती है.।


कक्षा में पढ़ने वाली नेहा ने बताया कि पहले उसे यह विषय समझ में नहीं आता था। इसलिए परीक्षा में नंबर भी कम आते थे। लेकिन यहां पढने के अब संस्कृत विषय धीरे-घीरे आसान होता जा रहा है। परीक्षा में नंबर भी अच्छे आए हैं। कुछ ऐसी ही छात्रा सोनाली कुमारी ने बताया कि उसे भी अब संस्कृत पढ़ना अच्छा लगता है।

*ग्रामीणों ने बांधे तारिफों के पुल*

रवि के इस कार्य के बाद ग्रामीण उनकी तारिफों के पुल बांधते, नहीं थक रहे हैं। जिले में हर तरफ उनकी प्रशंसा हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि रवि की पहल से बच्चों की पढ़ाई ही नहीं आसान हुई बल्कि गरीब तबके के छात्रों को इसके लिए अलग से पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि रवि की कक्षा में सुबह-शाम दर्जनों बच्चे पहुंचते हैं। इस कक्षा की बदौलत ही गांव के बच्चों को अब संस्कृत की परीक्षा में अच्छे नंबर मिलने लगे हैं।

साभार :- Etvभारत