द्वापर युग से जुड़ा है पटना के पालीगंज के सूर्य मंदिर का इतिहास - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - Sushant Sai Sundaram Durga Puja Evam Lakshmi Puja

शुक्रवार, 1 नवंबर 2019

द्वापर युग से जुड़ा है पटना के पालीगंज के सूर्य मंदिर का इतिहास




धर्म एवं आध्यात्म [अनूप नारायण] :
पटना के पालीगंज और दुल्हिनबाजार के बीच में स्थित ऐतिहासिक उलार (ओलार्क) सूर्य मंदिर का अपने आप में एक बड़ा महत्व है । खासतौर पर छठ के मौके पर इस पौराणिक मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालू आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं । छठ के मौके पर इस मंदिर में ना सिर्फ बिहार से बल्कि देश के कई अन्य राज्यों से भी छठ व्रती यहां आते हैं और भगवान भाष्कर की अराधना करते हैं । इस पौराणिक उलार सूर्य मंदिर के इतिहास से जुड़ी एक खास रिपोर्ट।

पालीगंज के इस पौराणिक मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है । द्वापर युग में भगवान कृष्ण और जामवन्ती के पुत्र राजा शाम्ब एक सुन्दर राजा थे । उन्हें अपने रूप पर बड़ा घमन्ड था । एक दिन वो सरोवर में युवतियों के साथ स्नान कर रहे थे कि तभी वहां से गुजर रहे महर्षि गर्ग का राजा शाम्ब ने उपहास उड़ाया,जिससे भड़के महर्षि गर्ग नें राजा शाम्ब को कुष्ठ रोग होने का श्राप दे दिया । इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान कृष्ण ने अपने पुत्र राजा शाम्ब को सूर्य की उपासना कराने की सलाह दी । जिसके बाद राजा शाम्ब ने 12 जगहों पर सूर्य की उपासना की जो बाद में 12 अर्क (सूर्य स्थली) के रूप में प्रतिष्ठापित हुआ ,जिसमें पालीगंज के उलार सूर्य मंदिर सहित 6 सूर्य स्थली बिहार में है और बाकि के 6 बिहार के बाहर । पालीगंज के सूर्य स्थली ओलार्क (उलार) के अलावा उड़ीसा में कोनार्क,औरंगाबाद के दे‌व में देवार्क,पण्डारक में पुण्यार्क,औगारी में औंगार्क,काशी में लोलार्क,सहरसा में मार्कण्डेयार्क,कटारमल में कटलार्क,उत्तराखंड में अलमोरा,बड़गांव  में बालार्क,चन्द्रभागा नदी के किनारे चानार्क,पाकिस्तान में आदित्यार्क और गुजरात में मोढ़ेरार्क के रूप में सूर्य स्थली का निर्माण हुआ ।

# अवध बिहारी दास - महंथ - उलार सूर्य मंदिर
मुगल शासक औरंगजेब द्वारा कुछ सूर्य मंदिरों को तोड़ दिया गया था जिसमें से एक पालीगंज का उलार सूर्य मंदिर भी था । फिर 1948 में परम हंस श्री श्री 108 अलबेला बाबा जी महाराज पालीगंज आए और जिर्ण शिर्ण अवस्था में पड़े उलार मंदिर का जिर्णोधार्य कराया और तब से लेकर आजतक इस पौराणिक मंदिर में लगातार श्रद्धालूओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। खासतौर पर छठ में तो इस मंदिर की रौनक देखते हीं बनती है । हर साल छठ के मौके पर इस मंदिर में श्रद्धालूओँ की संख्ता बढ़ती जा रही है।

Post Top Ad -