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शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

बिहार : सड़क निर्माण में धांधली पर पत्र को लेकर सियासत गरम

पटना : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के अध्यक्ष और सांसद डॉ़ संजय जयसवाल द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर सड़क निर्माण में धांधली का आरोप लगाए जाने के बाद राज्य की सियासत गरमा गई है। राजद और कांग्रेस ने जहां सरकार पर निशाना साधा है, वहीं जद (यू) और भाजपा बचाव में आ गई है।

राजद विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि उनकी पार्टी भ्रष्टाचार को लेकर प्रारंभ से ही सवाल उठा रही है, अब तो सरकार के सहयोगी ने भी असलियत सामने रख दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बराबर यात्रा करते हैं, पहले उन्हें भ्रष्टाचार को लेकर जवाब देना चाहिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष को अगर सरकार में इतना ही भ्रष्टाचार नजर आ रहा है, तो भाजपा को सरकार से अलग हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में है और राज्य में गुणवत्ता के अनुसार सड़क नहीं बन रही है, तो इसकी शिकायत करने के बजाय उन्हें सरकार से अलग हो जाना चाहिए।

इस बीच, भाजपा इस पत्र को लेकर सांसद के बचाव में उतर आई है। भाजपा के विधान पार्षद सच्चिदानंद राय ने कहा कि सांसद ने एक जनप्रतिनिधि का धर्म निभाया है। उनके क्षेत्र में जब सड़क बनाने में अनियमितता हो रही है, तो कोई भी जनप्रतिनिधि इसकी शिकायत करेगा।

जद (यू) के वरिष्ठ नेता ललन पासवान ने पत्र को लेकर कोई सीधा जवाब तो नहीं दिया, परंतु इतना जरूर कहा कि सरकार का लक्ष्य विकास है, और सदियों से जहां सड़कें नहीं थीं, वहां आज सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा अध्यक्ष डॉ़ जायसवाल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर 14 हजार ग्रामीण सड़कों में खामियों (अनियमितता) का जिक्र किया है और उसकी ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।

डॉ. जायसवाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में स्पष्ट कहा है कि चंपारण में 14 हजार ग्रामीण सड़कों के निर्माण में अभियंता, ठेकेदारों और राजनेताओं की मिलीभगत से हुई अनियमितता की ओर ध्यान आकृष्ट करा रहा हूं।

उन्होंने लिखा है, एक प्रमाण मेरे संसदीय क्षेत्र पश्चिम चंपारण के मझौलिया प्रखंड के बवइया-सिखैया पथ (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) का है। वर्ष 2017-18 में बिना निर्माण कार्य प्रारंभ किए 14 दिसंबर, 2018 को 29 लाख 33 हजार 455 रुपये, 15 जनवरी 2019 को 46 लाख 90 हजार 559 रुपये तथा 18 फरवरी, 2019 को 18 लाख 75 हजार 986 रुपये यानी कुल 95 लाख रुपये का अग्रिम भुगतान अभियंता की मिलीभगत से गबन की नीयत से ठेकेदारों को किया गया।

प्रदेश अध्यक्ष ने पत्र में स्पष्ट कहा है कि उनके संज्ञान में आया है कि इस गबन को वैध रूप देने के लिए अभियंता के साथ ही राजनेता भी लगे हुए हैं।

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