【न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-
एक ओर पर्यावरण को लेकर जहां सरकार चिंतित होकर एको फ्रेंडली पर जोर दे रही है वहीं सरकार के मातहत अधिकारीयों व शिक्षकों की लापरवाही से सरकार के प्रयासों पर पानी फेरता हुआ दिख रहा है।
दरसअल, सरकारी स्कूलों के रसोइयों को एमडीएम का चूल्हा फूंकने के कष्ट से निजात के लिए प्राइमरी तथा मिडिल स्कूलों में सरकार ने एलपीजी कनेक्शन देने की पहल को धरातल पर उतारा।
दरसअल, सरकारी स्कूलों के रसोइयों को एमडीएम का चूल्हा फूंकने के कष्ट से निजात के लिए प्राइमरी तथा मिडिल स्कूलों में सरकार ने एलपीजी कनेक्शन देने की पहल को धरातल पर उतारा।
इसके इतर सरकार ये निर्देश गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के कुछ विद्यालयों में महज एक औपचारिकता बनकर रह गया है। गिद्धौर प्रखंड के 67 विद्यालयों में से कुल 45 विद्यालयों के पास एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध होने की सूचना है। ऐसे में शेष 22 अन्य विद्यालय पेड़ की कटाई से प्राप्त हुए लड़की को जलावन के रूप में प्रयोग कर ग्लोबल वार्मिंग को गति देने में अपनी सहभागिता निभा रहे हैं। अब यहां सवाल ये उठता है कि जिस विद्यालय में पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाया जाता है उसी विद्यालय में पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करने को अपनी लाचारी का नाम देने में पीछे नही हट रहे। कार्रवाई के नाम पर विभागीय अधिकारी भी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। इस बाबत गिद्धौर स्थित राजश्री गैस एजेंसी के कर्मियों ने भी स्कूल के लिए गैस कनेक्शन पर अनभिज्ञता प्रकट की।
बता दें, गिद्धौर के एक विद्यालय में औसतन एक क्विन्टल लकड़ी की खपत है ऐसे में इतने विद्यालयों का एलपीजी कनेक्शन से वंचित होना पर्यावरण के साथ साथ कहीं न कहीं विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करती है।
बता दें, गिद्धौर के एक विद्यालय में औसतन एक क्विन्टल लकड़ी की खपत है ऐसे में इतने विद्यालयों का एलपीजी कनेक्शन से वंचित होना पर्यावरण के साथ साथ कहीं न कहीं विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करती है।
【कहते है एमडीएम प्रभारी】
इस वाबत एमडीएम प्रभारी अमीर दास से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि बाकी बचे हुए विद्यायल की सूची विभाग को भेजा गया है। राशि भी आबंटित कर दी गयी है। इन 22 विद्यालयों को जल्द ही एलपीजी कनेक्शन मिल जाएगा।