जमुई [सुशान्त साईं सुन्दरम] :
जिस प्रकार से जमुई जिले के लगभग सभी कॉलेजों का मान्यता अस्थाई रूप से बिहार सरकार ने समाप्त कर दिया है, यह कहीं से उचित नहीं है। अब विद्यार्थी परिषद मजबूरन सड़क पर उतरी है। सरकार अगर जल्द से जल्द सभी कॉलेजों को फिर से मान्यता नहीं दे देती है तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। हजारों की संख्या में छात्र एक साथ विरोध करेंगे। आने वाले दिनों में हम लोग भूख हड़ताल भी करेंगे और रचनात्मक आंदोलन करते ही रहेंगे। जब तक कॉलेज का मान्यता मिल नही जाता एबीवीपी कार्यकर्ता चुप बैठने वालों में से नहीं हैं। हम छात्रों के भविष्य के साथ बिहार सरकार को नहीं खेलने देंगे। उक्त बातें एबीवीपी के विभाग संयोजक सह मुंगेर यूनिवर्सिटी के सीनेट सदस्य शैलेश भारद्वाज ने कही।
जमुई जिले के कॉलेजों की मान्यता समाप्त होने पर बुधवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जमुई इकाई द्वारा जिला प्रमुख राजीव रंजन के नेतृत्व में आक्रोश मार्च निकाला गया। नगर मंत्री राहुल सिंह ने बताया कि आक्रोश मार्च बायपास रोड से प्रारंभ हो कर कचहरी चौक होते हुए थाना चौक से गांधी पुस्तकालय एवं पूरे बाजार घूमते हुए पुनः कचहरी चौक पर आ कर समाप्त हुआ।
मौके पर उपस्थित पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि राहुल कुमार एवं मीडिया प्रभारी पप्पू यादव ने कहा कि जिस प्रकार से बिहार सरकार द्वारा जमुई जिला के 8 कॉलेजों का अस्थाई रूप से मान्यता रद्द करना कहीं से उचित नहीं है। बिहार सरकार को बताना होगा कि क्यों छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खेलना चाहती है। अगर इस प्रकार से कॉलेजों की मान्यता ही समाप्त करनी थी तो नामांकन क्यों लिया गया! अभी के समय में छात्र-छात्राओं में डर का माहौल बना हुआ है। विद्यार्थियों को लग रहा है कि उनका भविष्य खराब होने जा रहा है। कॉलेजों में अगर किसी भी प्रकार की समस्या थी तो एडमिशन ही नहीं लेना चाहिए था।
मौके पर उपस्थित छात्र नेता कुंदन यादव और सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि जमुई जिले में ऐसे ही कॉलेज की संख्या काफी कम है। ऊपर से ऐसे में मान्यता समाप्त कर देने से ऐसा लगता है कि जमुई जिले के छात्रों को बिहार सरकार शिक्षा से दूर रखना चाहती है।
इस आक्रोश मार्च में एबीवीपी के कार्यकर्ता सत्यम कुमार, उज्वल कुमार, आजाद राय, गौतम कुमार, सिद्धांत , धनराज ठाकुर, विकास कुमार, बटोरन कुमार, सोनू रावत,गगन कुमार, अनमोल कुमार, बादल सिंह, रोशन कुमार, सनी कुमार उपस्थित रहे।