पूर्व सांसद आनंद मोहन जल्द होंगे जेल से रिहा,जानिए कैसे? - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - SR DENTAL, GIDHAUR

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019

पूर्व सांसद आनंद मोहन जल्द होंगे जेल से रिहा,जानिए कैसे?


29 OCT 2019

पटना [अनूप नारायण] :

डेढ़ दशक पहले जिस बाहुबली, दबंग और रॉबिनहुड राजनीतिक सूरमा की एक आवाज पर बिहार की सियासत हिल जाती थी,उस राजनीतिक बाजीगर की अब जेल से रिहाई तकरीबन सुनिश्चित हो गयी है ।जी हाँ ! हम बात कर कर रहे हैं बीते करीब 14 वर्षों से बिहार के सहरसा जेल में बन्द पूर्व सांसद आनंद मोहन की ।आनंद मोहन बिहार के तत्कालीन गोपालगंज डीएम जी.कृषनैया की हत्या मामले में आजीवन कारावास के सजायाफ्ता हैं और लंबे समय से सहरसा जेल में बन्द हैं ।हांलांकि एक मामले में कुछ दिन पहले पेशी के लिए उन्हें दिल्ली ले जाया गया था ।पेशी के बाद उनकी पहली पारिवारिक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई है ।

तस्वीर में आनंद मोहन सहित उनके दो बेटों चेतन आनंद,अंशुमान मोहन और बेटी सुरभि आनंद के साथ उनकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद के चेहरे पर खुशी की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है ।यह खुशी संतोष, तयशुदा महोत्सव और नए जीवन के आगाज की है ।यहाँ यह भी गौरतलब और बेहद खास बात है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन लगभग 14 वर्ष की सजा जेल के सलाखों के भीतर,अबतक गुजारकर,लगभग सजा काट ली है ।पूर्व सांसद आनंद मोहन ने आजीवन कारावास की सजा को तिहाड़ जेल,बेउर,मुजफ्फरपुर, भागलपुर,दरभंगा,पुर्णिया और सहरसा जेल में रहकर काटी है ।लंबे समय से वे सहरसा जेल में बन्द हैं ।

अब उनकी रिहाई के लिए सिर्फ राज्य सरकार से हरी झंडी मिलने भर की देर है ।वैसे बतौर आनंद मोहन और राजनीतिक जानकारों की मानें,तो आनंद मोहन की सजा के लिए नीतीश कुमार को ही षड्यंत्रकारी और जिम्मवार ठहराया जाता रहा है ।हांलांकि नीतीश कुमार इसे न्यायालय और कानून का फैसला बताकर,खुद को लगातार बेकसूर बताते रहे हैं ।वैसे हमसे खास बातचीत के दौरान पूर्व सांसद आनंद मोहन ने वक्त,अपनों की दगाबाजी और हालात को सजा के लिए जिम्मेवार ठहराया है ।

पूर्व सांसद ने कहा कि उन्होंने सदैव न्यायपालिका का सम्मान किया है और उनकी उंगली कभी कानून की ओर नहीं उठेगी ।नीतीश कुमार के प्रति उनके मन में कोई कलेष,दुःभावना और दुराव नहीं है ।राजनीति में नफा-नुकसान के खेल में वे बिना किसी कसूर के सजायाफ्ता हो गए ।वे जब जेल से बाहर आएंगे,तो बेशर्त, साफ-सुथरी,सबजन हितार्थ और मूल्यों की राजनीति को ना केवल हवा देंगे बल्कि उसके मजबूत झंडादार बनेंगे ।नीतीश से गहरे मनमुटाव को कैसे पाटेंगे,का जबाब उन्होंने बेहद मुस्कुराते हुए दिया और कहा कि चौदह वर्षों के वनवास के बाद मित्रता को जगह मिलनी चाहिए ।राजनीति में कभी दोस्ती और दुश्मनी स्थायी नहीं होती है ।पूर्व सांसद के बातचीत के लहजे से यह साफ पता चल रहा था कि वे अब नीतीश के हाथ को मजबूत करेंगे ।बीते लोकसभा चुनाव के दौरान आनंद मोहन और नीतीश कुमार के बीच मधुर संबंध स्थापित हुए थे ।यही कारण थी कि आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और बड़े बेटे चेतन आनंद कॉंग्रेस में रहते हुए भी नीतीश कुमार और एनडीए के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे।

उस समय कयास यह लगाया जा रहा था कि बीते 2 अक्टूबर को आनंद मोहन की रिहाई तय है लेकिन आनंद मोहन 2 अक्टूबर को रिहा नहीं किये गए ।बिहार सरकार के सूत्रों से जो हमें जानकारी मिली है,उसके मुताबिक,उस दौरान आनंद मोहन की पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद के कुछ नीतीश विरोधी बयान की वजह से रिहाई में तात्कालिक अड़चन आ गयी थी ।अभी बिहार उपचुनाव के जो परिणाम आये हैं,वह नीतीश कुमार को संभलने का संदेश दे रहा है ।राजनीति में सवर्णों की उपेक्षा,अब नए परिणाम दे रहे हैं ।अब कुछ जातीय समीकरण बनाकर,राजनीतिक सफर मजबूती से तय नहीं किया जा सकता है ।नीतीश कुमार सोसल इंजीनियरिंग के भीष्म पितामह माने जाते हैं ।वे उपचुनाव के परिणाम पर,निसन्देह गहन चिंतन और बहस-विमर्श करेंगे ।जदयू के भीतरखाने के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक आनंद मोहन के बेहद करीबी देश के जाने-माने,एक वरिष्ठ पत्रकार नीतीश कुमार के संपर्क में हैं,जो आनंद मोहन की रिहाई का लगभग रास्ता साफ करा चुके हैं।

विश्वस्त सूत्रों के हवाले से मिल जानकारी के मुताबिक एक पैनल के द्वारा,आनंद मोहन के जेल प्रवास के दौरान उनकी सारी गतिविधियों और आचरण की समीक्षात्मक रिपार्ट तैयार की जा चुकी है ।इस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि अपनी जेल यात्रा में पूर्व सांसद मृदुभाषी, मिलनसार,जेल अधिकारियों के साथ मधुर संबंध बनाए रखने और जेल मैनुअल का पालन करने में बेहद अग्रणी रहे ।जेल यात्रा के दौरान वे एक स्थापित कवि,प्रखर कथाकार और ओजस्वी साहित्यकार के रूप में उभरे हैं ।जेल से उनकी चार पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं ।उनका एक आलेख सीबीएसई के पाठ्यक्रम में भी शामिल है ।कुल मिलाकर,रिपोर्ट में उन्हें एक असाधारण व्यक्तित्व का स्वामी बताया गया है ।अब इससे इतर राजनीति की ओर मुड़ें,तो यहाँ यह जिक्र करना बेहद लाजिमी है कि सवर्ण की उपेक्षा,अब नीतीश कुमार किसी भी सूरत में नहीं करेंगे।

आगामी 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें एक मजबूत सवर्ण नेता का साथ चाहिए ।ऐसे में पूर्व सांसद आनंद मोहन सवर्ण के साथ-साथ सबजन के नेता हैं और उनका साथ नीतीश कुमार के लिए तुरुप का पत्ता और अलाउद्दीन का चिराग साबित होगा ।मोटे तौर पर रास्ता पूरी तरह से साफ हो चुका है ।पूर्व सांसद आनंद मोहन के इसी वर्ष किसी भी दिन रिहाई की खबर देश के लिए सुर्खी बन सकती है ।अभी हमारी इस एक्सक्लूसिव जानकारी और रपट पर आनंद मोहन सहित उनके परिवार के अन्य सदस्यों की सोसल मीडिया पर वायरल तस्वीरों की शारीरिक भाषा,इस बात की तकसीद कर रही है ।अभी जो बिहार सहित देश की राजनीति है,उसमें कहीं से भी आनंद मोहन की पुरजोर दखल नहीं है।

लेकिन राजनीतिक जानकार और समीक्षकों का कहना है कि आनंद मोहन के जेल से बाहर निकलते ही खास कर के बिहार की राजनीतिक फजां बिल्कुल बदल जाएगी ।आनंद मोहन एक बड़े जनाधार वाले नेता हैं और वे हवा का रुख मोड़ने में माहिर रहे हैं ।जाहिर तौर पर आनंद मोहन के जेल से बाहर आते ही देश का राजनीतिक समीकरण बदलेगा और बड़े बदलाव की संभावना बढ़ेगी ।आनंद मोहन के समर्थकों,चाहने वालों से लेकर उनके विरोधियों और लगभग तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को आनंद मोहन के जेल से बाहर निकलने का इंतजार है ।सच तो यह है कि हमें भी उनके जेल से बाहर निकलने का इंतजार है ।

Post Top Ad -