जमुई :
साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं बौद्धिक प्रकल्प 'पगडंडी' के तत्वावधान में जमुई स्थित होटल मनोज पैलेस के सभागार में दिनकर जयंती के मौके पर हिंदी पखवाड़ा सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं बौद्धिक प्रकल्प 'पगडंडी' के तत्वावधान में जमुई स्थित होटल मनोज पैलेस के सभागार में दिनकर जयंती के मौके पर हिंदी पखवाड़ा सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं पगडंडी के पदाधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित की गई। तदोपरांत राष्ट्रकवि दिनकर की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
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(कार्यक्रम में सम्मिलित होते कवि-साहित्यकार) |
इसके उपरांत संगोष्ठी में मुख्य अतिथि एस. के. कॉलेज लोहंडा के प्राचार्य प्रो. अनिल कुमार सिंह, नंदकिशोर सिंह, प्रो. नकुल साह, संदीप कुमार आचार्य एवं दुर्गेश प्रसाद सिंह ने हिंदी भाषा-साहित्य एवं दिनकर जी की ओजस्वी कृतियों-रचनाओं के संबंध में अपनी बात रखी।
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(पगडंडी द्वारा सम्मानित होते कवि-साहित्यकार) |
इस अवसर पर अतिथियों के कर-कमलों से पगडंडी जमुई द्वारा हास्य कवि सुरेंद्र प्रसाद सिंह मुकुल को हास्यरसावतार पंडित जगन्नाथ प्रसाद चतुर्वेदी सम्मान, मदन पंडा को गौरी शंकर मधुप सम्मान, मो. अमानुल्लाह को श्री किरण स्मृति सम्मान, डॉ. नूतन सिंह को पशुपतिनाथ मिश्र प्रफुल्ल स्मृति सम्मान, भोला कुमार बागवानी को त्रिपुरारी सिंह मतवाला स्मृति सम्मान एवं रणजीत सिंह को सुरेशचंद्र मिश्र शचीश स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
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(कार्यक्रम का संचालन करते पगडंडी के संगठन सचिव सुशान्त साईं सुन्दरम) |
इसके बाद आरंभ हुए कवि सम्मेलन ने अलग ही शमां बांध दिया। जिसका संचालन युवा साहित्यकार, कवि एवं पगडंडी के संगठन सचिव सुशान्त साईं सुन्दरम ने अपने अनूठे और खूबसूरत अंदाज़ में किया।
युवा कवियों कुमार शिवम शांडिल्य, अजीत कुमार सिंह, भोला कुमार बागवानी ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं पर अमिट छाप छोड़ी। राजनीति और सिस्टम पर चोट करती रवि मिश्रा की कविता 'बस इतना बदलना चाहिए' ने खूब तालियां बटोरीं। वहीं लड़कियों पर होने वाली अमानवीयता पर 'नहीं जीना तेरी गोद में माँ' ने श्रोताओं को भीतर तक झकझोर दिया।
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(गिद्धौरिया बोली कि कविताओं की प्रस्तुति देते हास्य कवि सुरेंद्र प्रसाद सिंह 'मुकुल') |
कवि जी के नाम से प्रसिद्ध सुरेंद्र प्रसाद सिंह मुकुल की गिद्धौरिया बोली कि हास्य कविताओं की प्रस्तुति ने सभागार में हंसी के ठहाके लगाने पर विवश कर दिया। वहीं कार्यक्रम में आधी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहीं डॉ. नूतन सिंह की ग़ज़लों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अमन-चैन और आपसी प्रेम-भाईचारे पर आधारित मो. अमानुल्लाह की कविताओं को भी सबका प्यार मिला। मदन पंडा एवं रणजीत सिंह की कविताओं को भी सभी ने सराहा।
समापन से पूर्व पगडंडी के सचिव अरुण कुमार आर्य एवं श्रोताओं की मांग पर युवा कवि सुशान्त साईं सुन्दरम ने हिंदी भाषा पर लिखी अपनी कविता पढ़ी। उनकी कविता की पंक्ति 'प्रियतमा के रूठने से प्रियतम के मनाने तक, प्रेम के गीत गुनगुनाती है हिंदी' सुनकर श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पगडंडी के अध्यक्ष डॉ. रवीश कुमार सिंह ने की। हिंदी पखवाड़ा सह कवि सम्मेलन की सफलता में रोहित कुमार, अरुण कुमार आर्य, संजय कुमार सिंह, सुनील कुमार मिश्र एवं मनीष नंदन ने अभूतपूर्व योगदान दिया। इस आयोजन में जिला भर के प्रबुद्धजनों की उपस्थिति रही।