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शुक्रवार, 12 जुलाई 2019

सिमुलतला : नवगीत प्रवर्तक की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित, हुई व्यक्तित्व की चर्चा


सिमुलतला (गणेश कुमार सिंह) :-

नवगीत प्रवर्तक राजेंद्र प्रसाद सिंह के राष्ट्रकवि दिनकर और मानवतावाद के प्रवर्तक महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश से बड़े ही आत्मीय संबंध थे । दिनकर को जब ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला तो दिल्ली में आयोजित समारोह में उन्हें दो शब्द कहने को कहा गया । राष्ट्रकवि दिनकर ने कहा कि मेरे बारे में मुझसे ज्यादा नवगीत प्रवर्तक राजेंद्र प्रसाद सिंह जानते हैं । मंच पर श्री सिंह को एक घंटे का समय मिला और वे ढाई घंटे तक बोलते रहे । लोग इस बीच भूल गए कि उन्हें एक ही घंटे बोलना था। ऐसे थे नवगीत प्रवर्तक राजेंद्र प्रसाद सिंह। 


उक्त बातें सिमुलतला आवासीय विद्यालय में महाकवि रामइकबाल सिंह राकेश साहित्य परिषद के तत्वावधान में नवगीत प्रवर्तक राजेन्द्र प्रसाद सिंह की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम मे विद्यालय के उपप्राचार्य सुनील कुमार ने कही। आगे उन्होंने कहा कि नवगीत का प्रवर्तन करके राजेंद्र प्रसाद सिंह ने एक नए युग का सूत्रपात किया ।
परिषद के समन्वयक डा. सुधांशु कुमार ने कहा कि नवगीत प्रवर्तक राजेंद्र प्रसाद सिंह ने नवगीत का प्रवर्तन करते हुए हिन्दी भाषा और साहित्य को देखने-परखने और मूल्यांकन करने की परंपरागत पद्धति और प्रक्रिया को नवीन आयाम  दिया। उन्होंने साहित्य को देखने-समझने के सामंती प्रतिमानों को तोड़कर बिलकुल नवीन , पारदर्शी व सृजनात्मक प्रतिमान तैयार किए हैं; जहां से साहित्य को आसानी से आमजन की नजर से देखा व समझा जा सकता है। वह साहित्य में जनतांत्रिक मूल्यों के पक्षधर थे ।
डॉ. शिप्रा प्रभा ने कहा कि नवगीत के माध्यम से उन्होंने हिंदी कविता को एक नवीन कलेवर से सुसज्जित किया । गोपाल शरण शर्मा ने कहा कि जिस साहित्यकार की पहली किताब बीस वर्ष की अवस्था में निकले और उसकी भूमिका एक तरफ निराला तो दूसरी तरफ पंत लिखें , इसी से उनकी प्रतिभा का अंदाजा लगाया जा सकता है । रंजय कुमार ने कहा कि मूलतः महाकवि राजेंद्र ने हिंदी कविता में नवगीत के प्रवर्तन के साथ अनेक प्रयोग किए । वह एक प्रयोगधर्मी कवि थे ।
अपने धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में कुमारी नीतू ने  कहा कि नवगीत के प्रवर्तक राजेंद्र प्रसाद सिंह हिन्दी साहित्य के युग परिवर्तक हैं। उन्होंने हिन्दी कविता को नवीन कलेवर देते हुए उसे जन साधारण की चेतना से  जोड़ा। डॉ. जयंत कुमार ने बताया कि राजेंद्र प्रसाद सिंह की कविता मनुष्यता की वकालत करती है । उन्होंने सबसे बड़ा धर्म मनुष्यता को माना। साथ ही साथ छात्र छात्राओं के बीच मुहावरा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें संसृति , तान्या सिंह , सौरभ कांत , आर्यन , नम्मीकुणाल   अनुज , शिव कुमार ,  गुड़िया , अदिति , महासागर आदि छात-छात्राओं ने बेहतर प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर विजय कुमार ,  डा. प्रवीण कुमार सिन्हा , ओ.पी .तिवारी , जितेंद्र कुमार पाठक , कुमारी पुष्पा , पराग कुमार सिन्हा  रंजय कुमार, सुनीता कुमारी , हीरा चौधरी। वर्षा कुमारी आदि शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित थीं। प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को शिक्षकों ने लेखनी देकर पुरस्कृत किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. प्रवीण कुमार  सिन्हा द्वारा किया गया।

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