सोमवारी विशेष ...
[gidhaur.com | न्यूज़ नेटवर्क] :-
प्राकृतिक वादियों से घिरे जमुई जिले के गिद्धेश्वर पहाड़ और किउल नदी के गोद में आप रूपी महादेव का मंदिर है, जहां पूरे श्रावण मास में दूर-दूर से श्रद्धालुगण आते हैं और शिवलिंग का पूजा अर्चना करते हैं। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु अपने को धन्य मानते हैं । यहां की शिवलिंग आप रूपी है इसलिए श्रद्धालु गण इस नगर में पहुंचने के लिए आकर्षित होते हैं।
आस्था और विश्वास के प्रतीक गिद्धेश्वर नाथ धाम में यूं तो पूरे वर्ष सोमवार को एवं प्रत्येक पूर्णिमा को मेला लगता है लेकिन श्रावण मास में यहां रोज रोज लगने वाले मेले का अलग महत्त्व है। मंदिर प्रांगण में देवों के देव महादेव आदिशक्ति महादेवी पार्वती महादेवी दुर्गा रुद्रावतार बजरंगबली राधा कृष्ण के मंदिर में प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है ।
- वृद्ध जनों का है कहना -
गिद्धेश्वर के शिवलिंग पर पहाड़ से बेलपत्र ला कर पूजा-अर्चना करने से श्रद्धालुओं की मान्यताएं पूर्ण होती है। खैरा के अलावे जमुई झारखंड के तीसरी क्षेत्र गांवा क्षेत्र कौवाकोल एवं सिकंदरा क्षेत्र के लोग यहां पूजा करते हैं।
गिद्धेश्वर पहाड़ पर कई ऐसे बेल के पेड़ है जिसमें तीन से लेकर छह दल का बेलपत्र मिलता है और श्रद्धालु जब उस बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं तो वे अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
गिद्धेश्वर पहाड़ पर कई ऐसे बेल के पेड़ है जिसमें तीन से लेकर छह दल का बेलपत्र मिलता है और श्रद्धालु जब उस बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं तो वे अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
-- शिवगंगा की स्थिति नारकीय, सुविधाओं का भी है टोटा--
इसे गिद्धेश्वर धाम का दुर्भाग्य ही कहा जाय कि लगभग एक दशक से यहाँ के शिवगंगा की स्थिति नारकीय बनी हुई है। एक समय मे जहां लोग श्रद्धा से स्नान कर पूजा करते थे आज वहां गंदगी का अंबार लगा है। शिवगंगा की दीवार टूटी हुई है। जहां श्रद्धालुओं का मेला लगता है वह ईट पत्थर और गंदगी फैला हुआ है। इस ऐतिहासिक धार्मिक स्थल पर वर्षों पूर्व बने शौचालय को व्यवस्थित नहीं किया गया। यात्री शेड की दरकती दीवारों पर पौधे उग आए हैं ।
बता दें कि गिद्धेश्वर नाथ मंदिर की पहचान बिहार के धार्मिक न्याय से जुड़ा हुआ है। इसको लेकर इस मंदिर को अपनी पर्याप्त संपत्ति भी है। मंदिर में व्यवस्था के लिए आय-व्यय लेखा-जोखा के लिए समय अंतराल पर बैठक भी होते रहती है, मगर वर्षों से इस मंदिर का विकास अवरुद्ध पड़ जाने से मंदिर की छाप भी आम जनों में धुंधली पड़ रही है।