【गिद्धौर | धनंजय कुमार 'आमोद'】:-
प्रखंड मुख्यालय से महज चार किलोमीटर दूरी स्थित रतनपुर पंचायत के भौराटांड़ गांव के वार्ड नंबर 12 में बना छतेदार चबुतरा किसी बड़े हादसे के इंतजार में है। लगभग एक दशक पूर्व बने इस छतेदार चबूतरे में लगा थर्ड क्लास ईंट टूटकर नीचे गिर रहा है। इस लावारिश पड़े चबुतरा को देखने वाला ना तो प्रखंड मुख्यालय के पदाधिकारी ही आते हैं और ना ही पंचायत के किसी प्रतिनिधि का ही ध्यान है।
यह चबूतरा किस स्थिति में है इसका अंदाजा तस्वीर से लगाया जा सकता है। आलम।यह है कि प्लास्टर झड़ने के बाद अब इसके अंदर का छड़ तक दिखने लगे गया है।
यह चबूतरा किस स्थिति में है इसका अंदाजा तस्वीर से लगाया जा सकता है। आलम।यह है कि प्लास्टर झड़ने के बाद अब इसके अंदर का छड़ तक दिखने लगे गया है।
बता दें कि, इस अधमरे चबूतरे से महज पांच कदम की दूरी पर ही एक आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र संचालित होती है जिससे यहां प्रतिदिन दर्जनों बच्चों का आना जाना लगा रहता है। पर्याप्त जगह होने के कारण बच्चे संध्या बेला में खेलने भी आते हैं। इसे ईश्वरीय कृपा की कहें कि अब तक किसी भी प्रकार का हादसा नही हुआ।
【 ग्रामीणों का है कहना】 :-
इस संदर्भ में वार्ड नं. 12 के ग्रामीण कविता मांझी, किशोर मांझी, नवीन मांझी,रिखिया देवी, सरिता देवी, सुमा देवी, रानी देवी, रंजीत यादव, अजीत यादव आदि एक स्वर में कहते हैं कि हमारे घर से छोटे छोटे बच्चें उसी जगह आँगनबाडी केन्द्र में बचपन जीने जाते हैं। सभी अभिभावक बड़े हादसे से सहमे रहते हैं। स्थिति यहां तक आ गयी है कि बच्चे को आंगनबाड़ी केंद्र भेजने में डर लगने लगा है।
विकास की बहती बयार में अर्धमृत पड़े इस छत्तीदार चबूतरे की मरम्मती के लिए फ़िल्हाल ना तो प्रखंड के पदाधिकारियों की दिलचस्पी दिखा रही है और ना ही पंचायत के प्रतिनिधियों को। पर समाचार सम्प्रेषण के बाद ये देखना दिलचस्प होगा कि इसके उद्धारकर्ता कौन बनते हैं।