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मंगलवार, 21 मई 2019

Exclusive : परंपरागत जलस्त्रोत से कोसों दूर हुआ गिद्धौर, दहलीज पर है सुखाड़

न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा :-

एक दौर था जब गिद्धौर की उलाई नदियों के तट पर संगम का एहसास हुआ करता था। गिद्धौर के मुख्य स्थलों से लेकर इसके 8 पंचायत अंतर्गत 20 गांवों तक नदी, तालाब और कुओं का बहुल था। यह परंपरागत जल स्रोत जमीन के जल को संरक्षित करते थे लेकिन महज एक दशक में ही ये जल स्त्रोत गुम होने के कगार पर पहुंच चुकी है।


मौसम की मार व पर्यावरण के असंतुलन के कारण गिद्धौर प्रखंड भर में परंपरागत जल स्त्रोत सूख चुके हैं। गर्मी के प्रकोप से जमीन का जल स्तर वर्ष दर वर्ष नीचे जा रहा है।

[क्या है गिद्धौर की हालत और हालात] :-

भूगोलिक दृष्टिकोण से, गिद्धौर के चारों ओर नदियों एवम जलस्रोतों का जाल बिछा हुआ है।
गिद्धौर तक आने व जिला मुख्यालय तक जाने के हर मार्ग से गुजरने वाली अधिकांश नदियों के ऊपर बड़े-बड़े पुल बने हैं पर कहीं पानी नजर नहीं आ रहा है। कहीं मोटर बोरिंग फेल हो रहे हैं तो कहीं चापाकल बीमार।  सूत्र बताते हैं कि कहीं कहीं नदी के कुछ हिस्सों पर अवैध कब्जे हैं। नदी के एक बड़े हिस्से में नदी की जमीन किसानों के कब्जे में है और खेती भी की जा रही है। स्थानीय बुद्धिजीवियों की यदि मानें तो जमुई जिले के सोनो से बर्नर और गिद्धौर से उलाई बियर के रूप में नदियों की धार दिखा करती थी। पर इसे दुर्भाग्य ही कहें कि विगत वर्षों से बारिश न होने से नदियों की धार संकीर्णता के दहलीज पर है। लिहाजा सुखाड़ से जूझने वाला जमुई जिले का गिद्धौर प्रखंड आगामी दो वर्षों तक इसके चुंगल से आजाद नही हो पायेगा।

[खतरे का संकेत दे रहा है वर्तमान स्थिति] :-

जमुई जिले सहित गिद्धौर प्रखंड भर में भूगर्भ जल का हर साल नीचे जाना भविष्य के लिए खतरे का संकेत के रूप में माना जा रहा है। जिले भर के बड़े बुजुर्ग भी इस बात को स्वीकार करते हैं। कुछ अनुभवी लोग व शिक्षाविद बताते हैं कि दशक पूर्व तक भीषण गर्मी के मौसम में भी गिद्धौर की नदियां, पोखर, तालाब व पुराने कुएं नहीं सूखते थे। लेकिन आज तालाबों की गहराई बढ़ाने के बाद भी इसमें सालों भर पानी नहीं टिक पाता है। यह सब मौसम की मार तथा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का असर है।

[gidhaur.com की राय] :-

 ◆   गिद्धौर प्रखंड में परंपरागत जल स्रोत को विभागीय सहयोग से पुनर्जीवित करना चाहिए। यह यदि नहीं हुआ तो जमुई जिले भर में पेयजल का संकट और गहरा जाएगा। गिद्धौर के अलावे जमुई जिले भर में हालात ऐसे बनेंगे की जानवरों से लेकर इंसान तक को तकलीफ सहन करनी पड़ेगी। ऐसे में जरूरी है कि जल स्रोतों को चिह्नित कर उन्हें संरक्षण प्रदान करते हुए उन्हें उपयोग में लाया जाय।

◆  सरकारी स्तर पर जल संचयन की परंपरागत व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए।  इसमें बाधा डालने वालों  पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाए। 

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