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मीसा भारती के प्रचार में उतरे भोजपुरी सुपरस्टार रोहित राज यादव


पटना [अनूप नारायण] :
मौजूदा लोकसभा चुनाव में जहां एक तरफ से पूरी तरह भोजपुरी इंडस्ट्री भाजपा के पाले में जा चुकी है ऐसे दौर में भोजपुरी फिल्मों के उभरते सुपरस्टार  रोहित राज यादव ने पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार मीसा भारती के प्रचार के लिए अपने पूरे दल बल के साथ उतर चुके है. रोहित के साथ दर्जन भर से ज्यादा भोजपुरी के कलाकार भी मीसा भारती के लिए प्रचार में जुटे है. रोहित कहते हैं कि केवल यादव सरनेम लगा लेने से आप असली यादव नहीं हो सकते. आज की तारीख में अगर लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव जैसे यादव सपूत आगे नहीं बढ़े होते तो लोग यादव सरनेम लगाने से भी डरते. यादव लड़ाकू जाति है. स्वाभिमान के लिए लड़ती है अपनी मातृभूमि के लिए अपने वजूद के लिए समाज के लोगों को हक दिलाने के लिए. मौकापरस्त लोगों को समय आने पर जवाब दिया जाएगा. फिलहाल भोजपुरी इंडस्ट्री के कुछ लोग इस गलतफहमी में है कि वह स्टार है, सुपरस्टार है. जनता तय करती है कौन स्टार बनेगा.

पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र से मीसा भारती को समर्थन देने के लिए रोहित राज यादव के साथ चर्चित अभिनेत्री सुप्रिया संजना, नेहा तिवारी सहित दर्जनभर से ज्यादा कलाकार क्षेत्र में कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं.
पटना जिला के बिहटा के बेला गांव के निवासी रोहित राज यादव ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत भोजपुरी फिल्म धूम मचाले राजा जी से की थी. उसके बाद उनकी दूसरी  फिल्म बल्लू लोहार थी. इस हफ्ते प्रदर्शित हुई भोजपुरी फिल्म ये इश्क बड़ा बेदर्दी है मे रोहित भोजपुरी की दो बड़ी हीरोइन है गुंजन पंत और रानी चटर्जी के साथ कास्ट किए गए हैं. बेला गांव के बृजलाला प्रसाद और शांति देवी के घर पुत्र रत्न के रूप में जन्मे रोहित बचपन से ही विद्रोही स्वभाव के रहे हैं. रोहित कहते हैं कि जब वह आठवीं क्लास में थे तभी से उन्हें फिल्मों में काम करने का चस्का लगा. ग्रामीण परिवेश में होने के कारण कोई मार्गदर्शक नहीं था. उनके गांव के एक सज्जन रेडियो में काम करते थे. उन्होंने इन्हें रेडियो में काम दिलाने का प्रलोभन दिया. इसी लोभ में ये उनको  अपनी साइकिल के पीछे बैठा कर हफ्तों रेडियो स्टेशन का चक्कर लगाते रहे. लेकिन इन्हें कोई काम नहीं मिला. पढ़ाई चलती रही लेकिन दिल में हीरो बनने की ललक कम ना हुई. किसान पिता इन्हें डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित करते थे. लेकिन रोहित ठान चुके थे कि इन्हें हीरो बनना है. मैट्रिक की परीक्षा पास की तो अखबारों में एक्टिंग का विज्ञापन देखकर परिजनों से पैसे की डिमांड की. दो दिनों तक भूख हड़ताल चला. मां शांति देवी इन के पक्ष में खड़ी हुई तथा दो दिनों की भूख हड़ताल के बाद परिजनों से 9000 रुपए मिले. सबसे पहले रोहित दिल्ली के फिल्म मेकर कंपनी के पास पहुंचे. जहां पर ₹3500 इंट्री फिस के नाम पर ली गई. फिर से ₹10000 की मांग की गई. पैसे नहीं होने के कारण  वापस पटना आ गए. फिर मुंबई सुरेश शर्मा के यहां जा पहुंचे. वहां भी पैसा ले चलता कर दिया गया. अपने दम पर इन्होंने खुद के पैरों पर खड़ा होने की ठानी. 12वीं की पढ़ाई के दौरान  कांट्रेक्टर का काम करने के लिए दौड़ने लगे. लेकिन उम्र कम होने के कारण कॉन्ट्रैक्टर का काम नहीं मिला. उसके बाद यह प्रॉपर्टी डीलिंग के काम में लगे.जहां इनकी गाड़ी चल पड़ी. पढ़ाई भी चलती रही. बीएस कॉलेज दानापुर से स्नातक किया. इसी बीच पैक्स के अध्यक्ष भी बने. लेकिन दिल में फिल्मों में काम करने का शौक कम नहीं हुआ. शादी हुई दो बच्चे हुए. जिंदगी  की गाड़ी तेजी से सर पट भागने लगी. इसी बीच इन्होंने अपनी मां शांति देवी के नाम पर मां शांति इंटरटेनमेंट की स्थापना की तथा भोजपुरी फिल्म ये इश्क बड़ा बेदर्दी है का निर्माण किया. फिल्म बिहार के 27 सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में रोहित के दोनों बच्चों ने भी अपने अभिनय यात्रा की शुरुआत की है. रोहित कहते हैं कि नफा-नुकसान से परे उन्होंने दिल से दर्शकों के इंटरटेनमेंट के लिए फिल्म बनाई है. फिल्म दर्शकों को पसंद आ रही है.