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बुधवार, 20 मार्च 2019

होली विशेष : मिलावटी रंग-अबीर चेहरे को बना सकता है बदसूरत


{न्यूज डेस्क} - शुभम मिश्र :
रंग और गुलालों का त्योहार होली खुशियाँ मनाने में जहां एक दिन शेष बचे हैं।वहीं इस मौके पर अपने सगे संबंधियों,दोस्तों को रंग व गुलाल लगाकर रिश्तों में मिठास व अपनापन लाने के ख़्वाहिशें सभी के दिलों में अभी से हिलोरे मार रही है।प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के पूर्णिया को मनाये जाने वाले होली के त्योहार में शायद ही कोई ऐसा घर होगा, जहां परिवार के सभी सदस्य रंग-अबीर लगाने का आनंद नहीं उठाता हो।वहीं दूसरी ओर रंग व गुलाल में होने वाली मिलावट इसकी महक को कम कर सकती है।सूत्रों के मुताबिक शहर व गावों में पर्व को देखते हुए नकली रंग व गुलाल बनाने वाले गलत कारोबारी भी सक्रिय हो गये हैं।ऐसे कारोबारियों द्वारा पर्व के मद्देनजर त्वचा का रंग बिगाड़ने व स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले इन रंगों का शहर व गावों में व्यापक पैमाने पर स्टाॅक किया गया है।अधिक मुनाफे की चाहत रखने वाले छोटे-बड़े दुकानदार गुणवत्ताहीन व सस्ते रंग-गुलाल की बिक्री धरल्ले से कर रहे हैं।दुकानों में सजे हुए रंग,गुलाल के पैकेट देखने में भले ही खूबसूरत लगते हों,लेकिन इनकी गुणवत्ता के बारे में कुछ भी कहना काफी मुश्किल है।यहां बताते चलें कि जिले में होली के मौके पर लगभग 80 लाख से एक करोड़ का कारोबार होता है।चिकित्सकों की मानें तो घटिया किस्म के रंग व गुलाल का प्रयोग करने से त्वचा व स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है।इस बारे में जब मैंने महावीर आरोग्य संस्थान पटना के पूर्व चिकित्सक डॉ॰सुधीन्द्र नाथ मिश्र से पूछा तो उन्होंने बताया कि हरे रंग में काॅपर सल्फेट मिला होता है जिससे आंख सहित मानव शरीर के सभी संवेदनशील हिस्सों में एलर्जी की शिकायत होती है।उन्होंने कहा कि लोगों को बैगनी रंग से भी परहेज करनी चाहिए क्योंकि इसमें क्रोमियम आयोडाइड होता है जिससे अस्थमा व अन्य तरह के एलर्जी होने का खतरा होता है।वहीं बहुत सारे लोगों द्वारा चमकता चेहरा दिखने व दिखाने के लिए होली में लोग सिल्वर अथवा पोटीन का प्रयोग करते हैं।यह दिखने में भले ही सुन्दर लगता हो,लेकिन लंबे समय तक शरीर में लगे रहने के बाद यह कैंसर तक का कारक बन सकता है।इसमें अल्युमिनियम ब्रोमाइड का मिश्रण होता है।अतः इसके प्रयोग से परहेज करनी चाहिए।
उन्होंने इस त्योहार पर लोगों को नशा से परहेज करने के बारे में भी बोला कि बिहार में शराब बंदी होने के बावजूद भी कुछ लोग शराब व अन्य मादक पदार्थों के सेवन को इस त्योहार में तवज्जो देते हैं, जिससे प्रत्येक साल होली में दर्जनों लोग नशे की हालत में गंभीर रोगों सहित दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं।इससे लोगों को परहेज करनी चाहिए।
वहीं दूसरी ओर उन्होंने परहेज से खाने पर भी बल दिया।इस बारे में उन्होंने कहा कि होली का संबंध खाने-खिलाने से भी है;लेकिन खाने में जरा सी लापरवाही आपकी होली को बर्बाद कर सकती है, अगले कई दिनों तक आपको डाक्टर का मुरीद बनना पड़ सकता है।खाये लेकिन हिसाब से।उतना ही खायें जितना आपका पेट हजम कर सकता है।लोगों के दवाब को अपनी प्रतिष्ठा न बनाये।खासकर पेट,मधुमेह,गैस्ट्रिक एवं बवासीर के मरीज को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
Gidhaur.com की ओर से पाठकों हेतु एक अपील :-
होली खेलते समय रखें विशेष ध्यान:-
■-: रसायनिक तत्व मिश्रित रंगों                   
        का प्रयोग न करें।
■-: रंग व अबीर खरीदते समय
       उसकी गुणवत्ता का ख्याल
       रखें ।
■-: प्राकृतिक रंग व गुलाल का
        इस्तेमाल करें ।
■-: चेहरे पर गुलाल लगायें ।
■-: मोबिल,ग्रीस,गंदे नाली का
        पानी व अन्य रसायन के
        प्रयोग से बचें।
■-: होली आनंद व उत्साहपूर्वक
        मनायें ।
         

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