मांगोबंदर : गूंजते फगुआ के गीत के साथ परवान चढ़ने लगी है होली की उमंग



{मांगोबंदर} - शुभम कु. मिश्र
जिले भर में होली को लेकर तैयारी दिखने लगी। रंगों का त्योहार होली अपने परवान चढ़ने लगा है। इस बार 21 मार्च को मनाये जाने वाले इस त्योहार को लेकर तैयारी की जा रही है। रंग, अबीर, पिचकारी आदि की कई स्थायी व अस्थायी दुकानें बाजारों में सजने लगी है। किराना व मिठाई दुकानदार भी होली की तैयारी में लगे हैं।

 वहीं कपड़े की दुकान पर भीड़ देखने को मिल रही है, रंग-बिरंगे पायजामा-कुर्ते से लेकर बच्चों के लिए डिजाइनर धोती-कुर्ता सेट दुकानों की शोभा बढ़ा रही है। लड़कियां व महिलाओं को सूती व सिन्थेटिक साड़ियां सहित सलवार सूट भा रहा है। वहीं परदेसी होली के मौके पर अपने घर लौट रहे हैं, जबकि ट्रेनों में भी होली को लेकर भीड़ देखी जा रही है। लोगों को अपने घर लौटने के लिए ट्रेनों में आरक्षण नहीं मिल पा रहा है।इधर गांव की गलियों से लेकर शहर के चौक-चौराहों पर होली की गीत जोड़ पकड़ चुकी है। वहीं खैरा प्रखंडान्तर्गत मांगोबंदर की ठाकुरबाड़ी में फगुआ के गीतों से वातावरण होली के रंग में सराबोर होता नजर आ रहा है। लोग सप्ताह भर पहले से ही ठाकुरबाड़ी में होली गीत सहित भजन-कीर्तन कर रहे हैं। यहां के बाजार में भी भीड़ देखने को मिल रही है। 

बतातें चलें कि फाल्गुन माह के पूर्णिया के दिन होलिका दहन किया जाता है। होली का पौराणिक,धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है। दुराचार के प्रवर्तक हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के जलने की कहानी भी त्यौहार के साथ जुड़ी हुई है। लोग होलिका दहन होने के बाद ही भोजन करते हैं। होलिका दहन में लोग लकड़ियों को एक निश्चित दिशा वाली जगह पर इकट्ठा करते हैं।निश्चित तिथि व मुहूर्त में उस स्थान को पवित्र जल से शुद्ध कर वहां घर से लायी गयी लकड़ियाँ, उपले आदि स्थापित कर प्रदोष काल में उसकी पूजा करने के पश्चात अग्नि प्रज्वलित करने का चलन है। उस प्रज्वलित अग्नि में लोग नई फसल,पूआ-पकवानों आदि को भी अर्पित करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर के विकार, दरिद्रता आदि नष्ट हो जाते हैं ।
लोगों को होली का त्योहार गरिमामय मनाना चाहिए ।
              
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