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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

जरा हटके : बिहार के 5 दिव्यांगों ने बना डाली दवाई बैंक

पटना (अनूप नारायण) : कुछ अलग करने की चाह ने बनवा डाली दवाई बैंक , बिहार की राजधानी पटना के 5 दिव्यांग जनों ने एक दवाई बैंक खोला है दवाई बैंक के मुख्य संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता भरत कौशिक , राकेश कुमार पटेल , रितु चौबे हैं , वही सहयोग के रूप में दिव्यांग छात्र गुड्डू कुमार तथा मनोज कुमार भी शामिल है ! बताते चलें कि दवाई बैंक झुग्गी झोपड़ी , दिव्यांग एवं असहाय , गरीब , कमजोर तबके के लिए बनाया गया है , दवाई बैंक के निर्माणकर्ता  ने बताया कि जब ये लोग गरीबों के बीच शहर के स्लाम में रहने वाले लोगों के बीच जाते थे तो उन्हें दबाई के बिना तरपते एवं मरते देखकर इन सभी की आंखों आंसुओं से भर जाती थी ! इन सभी का मन रोता रहता था यह हमेशा सोचते रहते थे कुछ ऐसा काम करना है जिससे गरीबों की मृत्यु ना हो और कोई दिव्यांग भी ना हो इसलिए इनके मन में कुछ अलग करने की सोच हमेशा रहती थी इन्हें ऐसा महसूस होता था कि दवाई यदि इन गरीबों को मिले तो यह भी अपने स्वास्थ्य को अपने जीवन को ऊंची उड़ान पर ले जा सकते हैं ! दिव्यांग जनों ने सोचा कि हम दिव्यांग है लेकिन किसी भी गरीब की मृत्यु होने नहीं देंगे इसलिए ठाना मेडिसिन बैंक बनाकर हॉस्पिटलों में घरों में गरीब असहाय , दिव्यांग एवं कमजोर लोगों के बीच डॉक्टर से दिखाकर शुरुआती दौर की कुछ दवाई दिया जाय ! दिव्यांगों के हौसले को लोग सलाम कर रहे है इन्हें दवाई देने के लिए कई लोग आ रहे हैं कई दबाई कंपनियां दवाई पहुंचा रही है , इनका काम सोशल साइट Facebook पर WhatsApp पर चल रहा है WhatsApp से जुड़े हुए FACEBOOK से जुड़े हुए लोग सोशल साइट से जुड़कर इन्हें दवाई लेने के लिए बुलाते हैं और यह सभी ट्राई साइकिल से दवाई लाकर मरीजों के बीच जाकर पहुंचाते हैं कुछ भी कर सही दवाई इन गरीबों के बीच मरीजों के बीच पहुंचाने में दिव्यांगों की आहम भूमिका रहती है ! रात हो या दिन कभी भी इनके पास कॉल जाता है यह दवाई लेने में और मरीजों के बीच दवाई पहुंचाने में  देरी नहीं करते है ! यही कारण है कि इन सभी के प्रयास से कई की जान बच रही है ! इन सभी का मानना है कि आज दवाई बैंक शहर से शुरू होकर  गांव तक पहुंचेगी और पूरा बिहार दवाई के बिना मरने पर मजबूर नहीं होगा ! आने वाले समय में बिहार के विकास में बिहार के निर्माण में दिव्यांग भी अपनी भूमिका निभाने में पिछे नही रहेगें ! इसलिए उन्होंने इरादा को बूंलद किया है ! दवाई बैंक के माध्यम से दबाई पहुंचाकर एक स्वस्थ बिहार स्वस्थ समाज का निर्माण करने का ! इनकी प्रयासों की सराहना जितनी भी की जाए वह बहुत ही कम है!

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