[न्यूज डेस्क | अभिषेक कुमार झा]
भादो मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को श्रद्धालुओं ने उपवास रख भगवान अनंत की पूजा-अर्चना की। भगवान अनंत की कथा सुनने के लिए गिद्धौर के दुर्गा मंदिर, पंचमंदिर आदि के अलावा क्षेत्र अंतर्गत ग्रामीण देवालयों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई। खीरा, कच्चा सूत से बने अनंत, हल्दी, दूब, धूप, अगरबत्ती से सजे थाल को लेकर गिद्धौर के महिला-पुरुष पूजा स्थल पर पहुंचे और पूजा की।
भक्तों ने प्रात:काल में स्नान कर धूले वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लिया। पूजा स्थल पर कलश की स्थापना की और भगवान विष्णु की तस्वीर सामने रख पूजा की।
पूजा स्थल पर सूत में कुमकुम, केसर और हल्दी लगाकर 14 गांठ के अनंत सूत्र को तैयार किया और इसे भगवान विष्णु को अर्पित किया। भक्तों ने रोली, मौली, धूप, दीप, नेवेद्य, चंदन, पुष्प, ऋतु फल, पंचामृत अर्पण किया। फिर भगवान अनंत की कथा सुनी और भगवान सत्यनारायण पाठ किया। कुछ भक्तों ने भगवान का जप कर हवन भी किया। पूजा के बाद अनंत सूत्र को पुरुषों ने दाएं और महिलाओं ने बाएं हाथ पर बांधा। ब्राह्मण को दान-पुण्य कर प्रसाद ग्रहण किया। मान्यताओं के मुताबिक अगर 14 सालों तक यह व्रत किया जाए तो विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
गिद्धौर स्थित दुर्गा मंदिर में पंडित कृष्ण मुरारी झा ने बताया कि अनंत चतुर्दशी का व्रत करने व सूत्र बांधने से दरिद्रता दूर होती है। दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य समस्याओं की रक्षा होती है। मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ग्रहों की बाधा से मुक्ति मिलती है। यह रक्षा कवच की तरह काम करता है। भगवान श्रीकृष्ण की सलाह से पांडवों ने इसका पालन किया और सभी संकटों से मुक्त हुए थे।
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