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सोमवार, 10 सितंबर 2018

पटना : साईं की रसोई के पूरे हुए 100 दिन, ₹5 में मिलता है भरपेट खाना

 पटना (अनूप नारायण) : बिहार की राजधानी पटना में 2 साहसी महिलाओं के द्वारा महज ₹5 में लोगों को भरपेट भोजन कराने का अनूठा अभियान साईं की रसोई ने रविवार को अपना सौ दिन पूरा कर लिया। इस अनूठे अभियान के 100 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में नि:शुल्क नेत्र जांच शिविर, नि:शुल्क साईं की रसोई का लंगर, गरीबों के बीच वस्त्र वितरण एवं संध्या में भव्य साईं भजन का आयोजन किया गया। जिसमें हजारों की तादाद में लोगों ने भाग लिया

नव अस्तित्व फाउंडेशन की संस्थापक अमृता और पल्लवी ने बिहार की राजधानी पटना में सीमित साधनों के बीच ₹5 वाली साईं की रसोई शुरू की है। जो बिना किसी सरकारी या गैर सरकारी सहयोग या सहायता के सफलतापूर्वक विगत 100 दिनों से केवल संचालित ही नहीं हो रही बल्कि सैकड़ों की तादाद में लोगों को भरपेट भोजन भी मुहैया करा रही है। पटना के ओल्ड बायपास रोड भूतनाथ रोड के समीप साईं मंदिर कॉर्नर पर प्रतिदिन संध्या 7 बजे से लेकर 9 बजे तक साईं की रसोई लगती है। जहां लोग कतारबद्ध होकर अपनी बारी का इंतजार करते हैं। रिक्शा ठेला चालकों से लेकर फुटपाथ पर रहने वाले लोग,  प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र और राहगीर साईं की रसोई के नियमित ग्राहक बन चुके हैं।

महज ₹5 की सहयोग राशि पर लोगों को लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं। सातों दिनों का मैन्यू अलग अलग है किसी दिन खिचड़ी तो किसी दिन पूरी तो किसी दिन लोगों को पुलाव परोसा जाता है। जिस दिन खाना पहुंचने में लेट हो जाता है लोग टकटकी लगाए साईं की रसोई टीम का इंतजार करते हैं।


साईं की रसोई की शुरुआत 3 जून 2018 को अमृता सिंह, पल्लवी सिन्हा, अशोक कुमार वर्मा,और बंटी जी के द्वारा की गई जिसमें धीरे धीरे लोग जुड़ते जा रहे हैं और एक बहुत बड़ी टीम अब इसका हिस्सा है। जिसमें राकेश शर्मा और अशोक शर्मा जी का निरंतर सहयोग  रहा है। रोज 5₹ में लोगों को गर्म, पौष्टिक, स्वादिष्ट और हर दिन अलग अलग प्रकार का शुद्ध भोजन उपलब्ध कराना साईं की रसोई का मुख्य मकसद है। रविवार को इस रसोई ने 100 दिन पूरे कर लिए हैं और आशा है कि यह रसोई लगातार चलती रहेगी। महज हौसले के बल पर उड़ान भर गई साईं की रसोई बाजार वॉर्ड के दौर से गुजर रहे समाज को आशा की एक नई किरण भी दिखा रही है। ₹5 की सहयोग राशि देने के सवाल पर पल्लवी कहती है कि लोगों को यह महसूस नहीं होगी उन्हें मुफ्त में खाना दिया जा रहा है। इसलिए ₹5 की सहयोग राशि ली जाती है। अपने भावी योजनाओं के बारे में अमृता बताती हैं कि बिहार के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल पीएमसीएच में भी साई की रसोई शुरू करने की तैयारी चल रही है। साधन सीमित है। बस हौसला है कि कुछ नया करना है। समाज के एक तबके का सहयोग निरंतर नहीं मिल रहा है। बिना किसी प्रचार प्रसार के साईं की रसोई समाज सेवा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही है।

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