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नहीं रहे राजनीति के 'अजातशत्रु', दिल्ली के AIIMS में ली अंतिम सांस

              
 {न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा]

भारत ने एक बहुआयामी 'रत्न' खो दिया है। जी हाँ, कई वर्षों से बीमार चल रहे पूर्व प्रधानमंत्री, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को निधन हो गया।  तबीयत ज्यादा खबर होने के बाद उन्हें 11 जून को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था जहां वे कुछ दिनों तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रहने के बाद अंतिम सांस ली। वे किडनी में संक्रमण, छाती में संकुचन और पेशाब संबंधी परेशानी से जूझ रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी 2009 से ह्वील चेयर पर थे और डिमेंशिया रोग से पीड़ित थे। एम्स में भर्ती होने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का हालचाल जानने के लिए नेताओं का तांता लगा रहा। भाजपा ही नहीं विरोधी दल के नेता भी वाजपेयी को अंतिम अवस्था में देखने पहुंचे। एम्स में वाजपेयी के भर्ती रहने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पांच बार उन्हें देखने पहुंचे। विपक्ष का ऐसा कोई बड़ा नेता नहीं था जो वाजपेयी को देखने के लिए न गया हो। यह लोगों में वाजपेयी की लोकप्रियता दिखाता है। वाजपेयी के प्रशंसक सभी दलों में थे। वह एक लाजवाब वक्ता, प्रभावशाली कवि, असाधारण पब्लिक सर्वेंट, बेहतरीन संसद और एक महान प्रधानमंत्री थे। उनके नेतृत्व, दूरदर्शिता, परिपक्वता और वाक्पटुता ने उन्हें एक अलग मुकाम पर पहुंचाया। 
केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली में विजय घाट के पास स्मारक बनाए जाने की सूचना है। वाजपेयी का पार्थिव शरीर जनता दर्शन के लिए कल भाजपा कार्यालय में रखा जाएगा और कल ही उनका अंतिम संस्कार भी किया जाएगा।