कोल्हुआ : बाबा घनश्याम से जुड़ी है लोगों की आस्था

 

    [कोल्हुआ | दयानन्द साव]
श्रद्धालुओं की उमड़ती भीड़, ढोल-थाप की गूंज और बाबा घनश्याम के जयघोष से गुंजता मंदिर... कुछ ऐसा ही नजारा गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत कोल्हुआ स्थित बुधवार को बाबा घनश्याम के दरबार में सलौनी पूजा के दौरान देखने को मिला।
ऐतिहासिक बरनार नदी के उत्तरी तट पर स्थित बाबा घनश्याम की पिन्डी आज क्षेत्र वासियों के लिए आस्था का केन्द्र बनी है। बाबा की महिमा और यश का बखान इतने दूर-दूर तक है कि श्रद्धालुओं का जत्था यहां निरंतर पहुँचते ही रहता है।
सैकडों ग्रामीणों व श्रद्धालुओं की उपस्थिति में बुधवार को उक्त स्थान में बाबा वार्षिक पूजा श्रद्धापूर्वक संपन्न हुआ। विदित हो कि, यहां  प्रतिवर्ष वार्षिक पूजा का आयोजन धान फसल रोपनी से पूर्व होती है। बाबा घनश्याम की पूजा संपन्न होने के पश्चात ही ग्रामवासियों द्वारा धान रोपनी कार्य शुभारंभ करते हैं।
यूं तो घनश्याम स्थान में, सोमवार बुधवार एवं शुक्रवार को पूजा अर्चना होती है। श्रद्धालु के दृष्टिकोण से सप्ताह के इन तीन दिनों में सोमवार का दिन खास माना गया है। दूर-दराज से आए श्रद्धालु बाबा के दर्शन को पहुँचते हैं।
मंदिर परिसर के आसपास लगे छोटे मोटे स्टाॅल्स पर पूजा-पाठ में प्रयोग आने वाले पूजन सामग्री भी मिल जाती है
वहीं, पुजारी श्री विजेन्द्र पाण्डेय एवं नन्दकिशोर पाण्डेय की यदि मानें तो, यहां जो भी श्रद्धालु सच्ची निष्ठा से बाबा घनश्याम की पूजा अर्चना करते हैं, उन भक्तों की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है।
स्थानीय बुजुर्गों की यदि मानें तो, कोल्हुआ स्थित बाबा घनश्याम की पिन्डी के निकट पीपल का वृक्ष लगभग 500 वर्ष पुराना है, जो बाबा की पिंडी के स्थापना के वर्षों बाद स्वर्गीय झारी साव के परदादा ने लगाया था। 

 
 
इलाके से दूर-दराज के भक्तगण बाबा की पिन्डी के पूजनोपरांत पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं। बिना पीपल पेड़ की पूजा किए बाबा की पूजा अधूरी मानी जाती है।
बताते चलें कि, श्रावण माह दस्तक देते ही कोल्हुआ स्थित बाबा घनश्याम की पिन्डी के दर्शन व पूजा-अर्चना हेतु श्रद्धालुओं जत्था पहुँचने का आलम शुरू हो गया है।

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