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सोमवार, 16 जुलाई 2018

बिहार के सामाजिक तानेबाने का बॉलीवुड से है गहरा रिश्ता

मनोरंजन (अनूप नारायण) : भारतीय सिनेमा जगत (बॉलीवुड) का बिहार से काफी गहरा सम्बन्ध रहा है। बिहार हमेशा से अपने सामाजिक और राजनीतिक विषयों को लेकर फिल्मों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। बॉलीवुड के काफी सारे निर्माता-निर्देशकों ने बिहार के ऊपर फिल्में बनायीं और ज्यादातर फिल्में हिट रही हैं। गंगाजल, गैंग्स ऑफ वासेपुर, अपहरण, शूल, हजार ख्वाहिशे ऐसी, मातृभूमि, मृत्यु दंड, अंतर्द्वंद कुछ ऐसे ही यादगार फ़िल्में है जिन्होंने बिहार के सामाजिक ताने-बाने को पहले पर्दे पर उकेरा। इन फिल्मों के कथानक को लेकर जमकर बवाल मचा। जातिगत ढांचे में बटे बिहार के वर्ग विशेष की दबंगई का खामियाजा फिल्मकारों को भुगतना पड़ा।

बिहार की राजनीति के अपराधीकरण को दर्शाती है शूल
1999 में आयी फ़िल्म को राम गोपाल वर्मा ने लिखा और प्रॉड्यूस किया था और फ़िल्म का निर्देशन किया था ई. निवास ने। इस फ़िल्म में बिहार की राजनीति के अपराधीकरण को शानदार तरीके से दिखाया गया।

मनोज बाजपेयी ने एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर के गज़ब का काम किया। इस फ़िल्म को हिंदी में बेस्ट फ़ीचर फ़िल्म का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिल चुका है।

राज कपूर की बेहतरीन फिल्म तीसरी कसम
बासु भट्टाचार्य की 1966 में आयी तीसरी कसम बिहार के ग्रामीण जीवन को बहुत साफ और सीधे तरीके से दिखाती है। फ़िल्म हिंदी के उपन्यासकार फणीश्वर नाथ 'रेणु' की शॉर्ट स्टोरी मारे गए गुलफाम पर आधारित है। फ़िल्म में राज कपूर और वहीदा रहमान का शानदार अभिनय देखने को मिलता है।

फ़िल्म में बैल गाड़ी चलाने वाले राजकपूर को नौटंकी में नाचने वाली वहीदा रहमान से प्यार हो जाता है। इस फ़िल्म को बेस्ट फ़ीचर फ़िल्म के नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड से नवाज़ा गया।

प्रकाश झा की गंगाजल ने भी कायम किया कीर्तिमान
2003 में आयी निर्देशक प्रकाश झा की गंगाजल बिहार में पुलिस और अपराध की मिलीभगत और गंदी राजनीति को बेहतरीन तरीके से दिखाती है। फ़िल्म में अजय देवगन ने एक ईमानदार और गंभीर एसपी का किरदार शानदार तरीके से निभाया है।

भागलपुर में कैदियों की आंख फोड़ने की सच्ची घटना से प्रेरित इस फ़िल्म में अजय के अलावा मुकेश तिवारी, मोहन जोशी, यशपाल शर्मा और अखिलेंद्र मिश्रा जैसे कई अभिनेताओं का शानदार अभिनय देखने को मिलता है। गंगाजल को सामाजिक मुद्दे पर बनी बेस्ट फ़िल्म के नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड से नवाज़ा गया।

बाहुबली विधायक की कहानी थी अपहरण
2005 में आयी प्रकाश की अपहरण में अजय देवगन और नाना पाटेकर की शानदार कैमिस्ट्री देखने को मिलती है। नाना पाटेकर जहां एक बाहुबली विधायक के किरदार में हैं तो वहीं अजय देवगन एक बेरोज़गार युवक का किरदार निभाया जो देखते ही देखते अपहरण की दुनिया का सरताज बन जाता है।

फ़िल्म में बिहार में बड़े पैमाने पर होने वाली अपहरण की घटनाओं और राजनेताओं से उनके संबंध को ज़ोरदार तरीके से दिखाया गया है। फ़िल्म को बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला।

फेमस रही है फिल्म - गैंग्स ऑफ वासेपुर - 1 और 2
गैग्स ऑफ वासेपुर शायद बिहार पर बनी सबसे चर्चित फ़िल्म है। अनुराग कश्यप का शानदार निर्देशन और मनोज बाजपेयी और नवाजुद्दीन सिद्दकी के बेमिसाल अभिनय वाली इस फ़िल्म को उसके डायलॉग के लिए लोग खूब याद करते हैं।

झारखंड (तत्कालीन बिहार) के धनबाद में फैले कोल माफिया के इर्द-गिर्द घूमती ये फ़िल्म दो परिवारों की खानदानी दुश्मनी को शानदार तरीके से दिखाती है। फ़िल्म के पहले भाग में जहां मनोज बाजपेयी और तिग्मांशु धूलिया छाए हुए हैं तो वहीं दूसरा पार्ट नवाजुद्दीन सिद्दीकी के नाम है।

फ़िल्म की जान हैं इस फ़िल्म के सपोर्टिंग कलाकार जो आपको ऐसा सिनेमा दिखाते हैं जिसे भारत में इससे पहले नहीं देखा गया था। इस फ़िल्म को बेस्ट ऑडियो ग्राफी (पहले पार्ट के लिए) का नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के स्पेशल ज्यूरी अवॉर्ड से नवाज़ा गया।

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