
gidhaur.com(पटना):- फिल्म के माध्यम से मनोरंजन के साथ साथ विभिन्न तरह के मुद्दे, समस्या एवं उसके निदान के साथ जनचेतना का जन जन तक अलख जगाता है। वैसे तो समाज का आइना कहे जाने वाले फिल्म, के कई प्रकार हैं जिसमें एक प्रकार लघु फिल्म भी है।बड़ी फिल्मों से ज्यादा सशक्त लघु फिल्म को मना जाता है क्योंकि किसी भी ज्वलंत मुद्दे को कम समय में समाज तक पहुँचा कर फिल्म अपनी बात कह डालती है और समाज में अपना असर छोड़ जाती है।
पिछले मंगलवार को आईकोनॉक्लास्ट्स के बैनर तले बनी ये फ़िल्म लिक से हट कर एक ज्वलंत मुद्दा उपभोक्तावाद पर आधारित शार्ट फिल्म “ अनामिका- द बिट्रेयर ” की शूटिंग पटना में संपन्न हो गयी। फिल्म समाज को एक ऐसा मैसेज बयां कर रही है जो आज के युवाओं के बेहद करीब है, जिसके कुछ क्षण की मस्ती में गुम हो जाती है पूरी की पूरी ज़िन्दगी। फ़िल्म का निर्देशन कर रहे अमलेश आनंद ने बताया कि यह शॉर्ट फिल्म वर्तमान समय में समाज तक पहुँचा कर फिल्म अपनी बात कहते हुए समाज में अपना असर छोड़ जाती है। श्री आनंद ने फिल्म का विस्तारीकरण करते हुए बताया कि यह शॉर्ट फिल्म वर्तमान समय मे बढ़ रहे उपभोक्तावाद के बढ़ते दुष्प्रभाव के कारण समाज मे बढ़ रहे अपराध से युवाओं की ज़िंदगी तबाह हो रही है। आज की युवतियां अपनी आधुनिक जीवनशैली की प्रतिस्पर्धा के कारण तुच्छ सामान, उपहार, के लोभ से अपने संस्कार और नैतिकता को भूल कर ग्लैमर और मॉडर्न लाइफस्टायल की चकाचोंध में जीना चाहती है। अपने खूबसूरती के जाल में युवाओं को फंसा कर इस कदर मोहित कर देती है जिसे पाने के लिए युवा उसकी कठपुतली बना रहता है और उसके हर डिमांड को पूरा करने के लिए पैसे के जुगाड़ में लग जाता है जो आसानी से संभव नहीं हो पता।
वह धीरे धीरे आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगते हैं या फिर प्रेमिका के छोड़ने पर आत्महत्या कर लेते हैं या फिर कहीं लूट , चोरी के मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ कर सलाखों के अन्दर अपनी ज़िन्दगी गुजार देता है ।
इस तरह उपभोक्तावाद एक जाल जैसा पूरे समाज में फैला है जिसमें युवाओं जी ज़िन्दगी फंस कर बर्बाद हो जाती है ।
पिछले मंगलवार को आईकोनॉक्लास्ट्स के बैनर तले बनी ये फ़िल्म लिक से हट कर एक ज्वलंत मुद्दा उपभोक्तावाद पर आधारित शार्ट फिल्म “ अनामिका- द बिट्रेयर ” की शूटिंग पटना में संपन्न हो गयी। फिल्म समाज को एक ऐसा मैसेज बयां कर रही है जो आज के युवाओं के बेहद करीब है, जिसके कुछ क्षण की मस्ती में गुम हो जाती है पूरी की पूरी ज़िन्दगी। फ़िल्म का निर्देशन कर रहे अमलेश आनंद ने बताया कि यह शॉर्ट फिल्म वर्तमान समय में समाज तक पहुँचा कर फिल्म अपनी बात कहते हुए समाज में अपना असर छोड़ जाती है। श्री आनंद ने फिल्म का विस्तारीकरण करते हुए बताया कि यह शॉर्ट फिल्म वर्तमान समय मे बढ़ रहे उपभोक्तावाद के बढ़ते दुष्प्रभाव के कारण समाज मे बढ़ रहे अपराध से युवाओं की ज़िंदगी तबाह हो रही है। आज की युवतियां अपनी आधुनिक जीवनशैली की प्रतिस्पर्धा के कारण तुच्छ सामान, उपहार, के लोभ से अपने संस्कार और नैतिकता को भूल कर ग्लैमर और मॉडर्न लाइफस्टायल की चकाचोंध में जीना चाहती है। अपने खूबसूरती के जाल में युवाओं को फंसा कर इस कदर मोहित कर देती है जिसे पाने के लिए युवा उसकी कठपुतली बना रहता है और उसके हर डिमांड को पूरा करने के लिए पैसे के जुगाड़ में लग जाता है जो आसानी से संभव नहीं हो पता।
वह धीरे धीरे आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगते हैं या फिर प्रेमिका के छोड़ने पर आत्महत्या कर लेते हैं या फिर कहीं लूट , चोरी के मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ कर सलाखों के अन्दर अपनी ज़िन्दगी गुजार देता है ।
इस तरह उपभोक्तावाद एक जाल जैसा पूरे समाज में फैला है जिसमें युवाओं जी ज़िन्दगी फंस कर बर्बाद हो जाती है ।

फिल्म की मुक्तकंठ से प्रसंशा करते हुए श्री आनंद ने कहा कि यह फ़िल्म हम फ़िल्म फेस्टिवल के लिए बना रहे हैं जिसमे उपभोक्तावाद और दहेज प्रथा पर कराडा प्रहार साबित होगा ।
पाठकों को जानकारी से अवगत करते चलें कि इस फ़िल्म में पटना और मुम्बई कलाकारों ने मिल कर बेहतर काम किया है। मुम्बई से सुलगना चटर्जी , पटना से अजय झा मुख्य भूमिका में रहकर सशक्त अभिनय किया है। जबकि पटना से परविंद्र, शांति प्रिया, अनुराग कपूर एवं दिघवारा बॉक्सिंग क्लब के बॉक्सिंग चैम्पियन धीरज और 25 खिलाड़ियों ने भी अपनी अपनी भूमिका बखूबी निभाई।
फ़िल्म की शूटिंग पटना के एस.के पुरी पार्क के पास , पेंटालून मॉल, आनंदपूरी ,कंकड़बाग आदि जगहों पर किया गया है।
कुल मिलाकर यदि बात कही जाए तो उक्त फिल्म समाज के रंगमंच पर दर्शकों को एक सकारात्मक संदेश देने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।
फ़िल्म की शूटिंग पटना के एस.के पुरी पार्क के पास , पेंटालून मॉल, आनंदपूरी ,कंकड़बाग आदि जगहों पर किया गया है।
कुल मिलाकर यदि बात कही जाए तो उक्त फिल्म समाज के रंगमंच पर दर्शकों को एक सकारात्मक संदेश देने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।