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नहीं रहीं पद्मश्री डॉ. भक्ति यादव, पीएम ने ट्वीट कर जताया शोक

Gidhaur.com - बिना कोई पैसा लिए डेढ़ लाख से अधिक महिलाओं की डिलिवरी करवाने वालीं पद्मश्री डॉक्टर भक्ति यादव नहीं रहीं। वो 92 वर्ष की थीं और आखिरी वक्त तक मरीजों की सेवा करती रहीं। भक्ति यादव पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं। सोमवार को इंदौर स्थित अपने आवास पर उन्होंने आखिरी सांस ली। भारत सरकार ने इसी साल उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा था। उन्हें डॉक्टर दादी के नाम से भी जाना जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम ने लिखा- ''भक्ति यादव का दुनिया से चले जाना दुखद है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। उनका काम हम सबके लिए एक प्रेरणा है।'' 
डॉ. भक्ति का जन्म उज्जैन के महिदपुर में 3 अप्रैल, 1926 को हुआ था। शुरुआती पढ़ाई महिदपुर में ही हुई, आगे पढ़ाई के लिए गरोठ और इंदौर चली गईं। वे महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (MGM) में एमबीबीएस बैच में दाखिला लेने वाली पहली छात्रा थीं। 1952 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर मध्य प्रदेश की पहली महिला डॉक्टर बनीं। उस दौर में भंडारी कपड़ा मिल ने नंदलाल भंडारी प्रसूतिगृह के नाम से महिलाओं के लिए एक हॉस्पिटल खोला था। भक्ति यहां बतौर गायनेकोलॉजिस्ट काम करने लगीं। वर्ष 1962 में एमएस की भी डिग्री हासिल की। इंदौर की महिलाएं उन्हें 'धरती की देवी' के नाम से पुकारा करती थीं। 1978 में इस हॉस्पिटल के बंद होने के बाद उन्होंने अपने घर को ही नर्सिंग होम बना दिया। बहुत कम फीस पर मरीजों का इलाज शुरू करती थीं। पिछले 20 सालों से वे बिना किसी फीस के इलाज कर रही थीं।

gidhaur.com     |     14/08/2017, सोमवार 

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