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धर्म : गिद्धौर के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है घनश्याम स्थान

गिद्वौर राज रियासत के चप्पे-चप्पे में ऐसे कई इतिहास खंड बिखरे हुए हैं, जो आज भी धर्म और आस्था के केन्द्र बने हैं। गिद्धौर के पंचमंदिर, दुर्गा मंदिर, माँ त्रिपुर सुंदरी मंदिर, गिद्धेश्वर मंदिर आदि के साथ लगभग 5 सौ वर्ष पुराना धार्मिक श्री श्री घनश्याम स्थान बाबा मंदिर आज भी इस इलाके के अलावे सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। गिद्धौर प्रखंड के कोल्हुआ पंचायत अंतर्गत स्थापित घनश्याम बाबा आदि काल से पूजे जा रहे हैं। यहाँ पूजा के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं का प्रत्येक सोमवार एवं शुक्रवार को आने का सिलसिला अनवरत जारी है। 

बाबा घनश्याम के पिंडी स्वरुप की होती है पूजा
मंदिर में बाबा घनश्याम का पिंडी स्वरूप आज भी वही है, जो पारंपरिक नियमानुसार मिट्टी का अस्तु बना हुआ है, जिसकी पूजा आज भी पौराणिक विधि के अनुसार की जाती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि वहाँ जो भी जाकर अपनी मन्नते माँगा करते हैं वह अवश्य पूरी हो जाती है। जिसके कारण यह धर्म स्थल आज भी श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केन्द्र बना हुआ है। इस मंदिर में दर्शन पूजन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। दूध, जनेऊ, मिश्री, फूल और बेलपत्र से घनश्याम बाबा के पिंडी स्वरुप की पूजा की जाती है।  

मन्त्रों से होता है सर्पदंश का इलाज
इलाके के लोगों की पौराणिक मान्यता है कि जो लोग सर्प दंश के शिकार होते हैं, उन्हें बाबा घनश्याम के पास ले जाते हैं, और वहीं उनका वहाँ के पुजारी द्वारा, मंत्रोच्चारण से शर्प का विष उतारने का काम किया जाता है, जो किसी अलौकिक चमत्कार से कम नहीं है। बल्कि यह कहें कि सर्प दंश से पीड़ित लोगों को तत्कालीन प्रभाव से भी मुक्ति दिलाई जाती है। जिसके लिए घनश्याम बाबा विख्यात माने जाते हैं। यहाँ वर्षों से बलि प्रथा का भी प्रचलन है साथ ही मन्नत मांगकर बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया जाता है। 

सोमवार-शुक्रवार लगता है मेला
सैकड़ों श्रद्धालुओं के भीड़ लगने के कारण स्थानीय लोगों द्वारा दर्जनों छोटी-छोटी दुकानें लगाई जाती हैं जिससे कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे मेला लगा हो। और इस वजह से गरीबों के परिवार का भरण-पोषण भी बाबा की कृपा से संभव हो पाता है। विभिन्न छोटे-छोटे दुकानों में श्रृंगार, फोटो-किताब की दुकानें, फूल-प्रसाद की दुकानें, मिठाई-नाश्ता एवं चाट-चाउमीन की दुकानें आदि स्थानीय लोगों द्वारा लगाई जाती है।  यह मंदिर पूरे साल श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर परिसर में ही एक चापाकल और एक कुआं भी है। मंदिर के पीछे के हिस्से में नदी का तट है जहाँ स्नान कर श्रद्धालु मंदिर में पूजा करते हैं। समय-समय पर यहाँ विशेष पूजा-अर्चना का भी आयोजन होता है जिसमें क्षेत्र भर के लोग हिस्सा लेते हैं और श्रद्धापूर्वक बाबा घनश्याम की आराधना करते हैं। आस्था के इस केंद्र पर जिलेभर से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। 

कठिन है डगर, सड़क जर्जर
बाबा स्थान पहुँचने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों एवं प्रखंड पदाधिकारियों के उदासीनता के कारण सड़क भी जर्जर हो गयी है। जिसके कारण सैकड़ों श्रद्धालुओं को बाबा स्थान तक जाने मे घोर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस धार्मिक स्थल तक जाने की व्यवस्था आम श्रद्धालुओं के लिए सुनिश्चित नहीं किया जाएगा तो यह आस्था का केन्द्र मे लगने वाले सैंकड़ो गरीब परिवार होना कठिन हो जाएंगा। और नदी तट पर स्थित यह धार्मिक स्थल का संपर्क आम जनमानस से टूट जाएगा।


कैसे पहुचें
घनश्याम स्थान मंदिर गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत कोल्हुआ पंचायत में है। गिद्धौर से बायपास रोड से जाने और जमुई से गरसंडा के रास्ते आने पर कोल्हुआ एक छोटा सा गांव है। जहाँ के निवासी विशेषतः बीड़ी मजदूरी, पशुपालन एवं छोटे रोजी-रोजगार पर निर्भर हैं। 

टीम - www.gidhaur.blogspot.com 
~गिद्धौर      |          30/05/2017, मंगलवार

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