राष्ट्रीय राजमार्ग 333 द्वारा झारखण्ड-पश्चिम बंगाल को बिहार से जोड़ने वाली मुख्य सड़क जमुई जिले के गिद्धौर से होकर गुजरती है। प्रतिदिन हजारों छोटी-बड़ी गाड़ियां इस रास्ते से होकर अपने गंतव्य की ओर जाती हैं।
इतने वयस्त मार्ग होने के बावजूद भी गिद्धौर में लगने वाले जाम की समस्या को दुरुस्त करने का कोई भी ब्लू-प्रिंट प्लान आज तक अमलीजामा नहीं पहन सका। आलम यह है कि गिद्धौर के लॉर्ड मिंटो टावर चौक पर लगने वाले जाम का दृश्य प्रतिदिन देखा जा सकता है। बड़े वाहनों के शहर में प्रवेश से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
हालांकि गिद्धौर में वाहनों के आवागमन के लिए वैकल्पिक मार्ग की भी व्यवस्था है परन्तु उस पर भी स्थानीय लोगों का अतिक्रमण है। बाजार में प्रवेश करते ही जाम का सामना हो जाता है। टावर चौक, सोना मार्केट, हनुमान मंदिर व अन्य मुख्य मार्गों पर जाम व सड़क किनारे अतिक्रमण हर समय देखा जा सकता है। ऑफिस और स्कूल आने-जाने के समय तो स्थिति और भी विकट हो जाती है।
गिद्धौर-जमुई मुख्य मार्ग हो या गिद्धौर-झाझा मुख्य मार्ग सड़क के दोनों किनारे ही टेंपो पड़ाव पिछले दो दशकों से चला आ रहा है। गिद्धौर में आज तक टेंपो या टैक्सी पड़ाव का कोई विशेष स्थान तय नहीं किया गया है। पुर्व में जब गिद्धौर रेलवे स्टेशन से बाजार आने-जाने के लिए ताँगे का उपयोग होता था तब भी उनके ठहराव की समुचित व्य्वस्था नहीं थी एवं उन्हें भी सड़क किनारे ही खड़ा किया जाता था।
पार्किंग वसूली एवं बेतरतीब तरीके से वाहनों को यत्र-तत्र खड़े कर दिए जाने की वजह से हर रोज गिद्धौर के लॉर्ड मिंटो टावर चौक मोड़ के समीप छोटे-बड़े विभिन्न वाहन घंटों जाम में फंसे रहते है।
यदि जल्द ही इस दिशा में उचित पहल न किया गया तो गिद्धौर से होकर जाने वाले इस राष्ट्रीय राजमार्ग 333 को जाम के विकट समस्या से निजात नहीं मिल सकेगा।
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