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संपादकीय : जम्मू-कश्मीर में नई आशा की किरण का उदय, बढ़ी मोदी सरकार की चुनौतियाँ

आने वाली पीढ़ियों को आज की पीढ़ी इन बेड़ियों से आजादी की कथा रोमांचक कहानी सुनाएगी...

संपादकीय | सुशांत साईं सुन्दरम :
छोटे थे तो इतवार का शिद्दत से इंतजार रहता था. तब एकमात्र टीवी चैनल दूरदर्शन ही हुआ करता था. घर में टीवी नहीं था, पड़ोसी मित्र के घर जा कर देखा करते थे. उस वक़्त एक सीरियल प्रसारित होता था - 'शक्तिमान'. इस सीरियल के शुरुआत में कास्टिंग के वक़्त गाना आता था - अद्भुत अदम्य साहस की परिभाषा है... तब के वक़्त के बच्चों के जुबान पर  यह गाना रहता था. आज भी इसके बोल सुर के साथ याद हैं. वर्तमान परिदृश्य में देखें तो इसी अद्भुत अदम्य साहस की नई परिभाषा भारत सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने लिख डाली है.

जिस उम्मीद और भरोसे से देश की जनता ने भाजपा के कद्दावर नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकारते हुए एनडीए गठबंधन को पुनः पूर्ण बहुमत के जनादेश के साथ देश के सत्ता की चाभी सौंपी, उस जनता जनार्दन की आशा, अपेक्षा और आकांक्षाओं पर मोदी सरकार अपने दुसरे कार्यकाल के पहले ही दो-तीन महीनों में खरी उतरी है.

जम्मू-कश्मीर जो अब तक भारत का होकर भी भारत का न था. जहाँ के विधान, प्रधान और निशान तक अलग थे. जो भारत का होने के बावजूद भी अलग-थलग पड़ा था. जहाँ के लोग उन्नति और प्रगति की बात करना तक हास्य-प्रलाप समझा करते थे. उसी जम्मू-कश्मीर में एक नई आशा की किरण का उदय हुआ है.

अनुच्छेद 370 - जिसने अब तक विशेष दर्जा देकर जम्मू-कश्मीर के विकास के रास्तों को अवरुद्ध कर रखा था, उसे हटाकर एनडीए नीत नरेंद्र मोदी सरकार ने हटाकर इतिहास रच दिया है. जम्मू-कश्मीर अब से विशेष राज्य न होकर केंद्र शसित राज्य होगा जहाँ विधानसभा होगी. जनता के मत से सरकार चुनकर आएगी. यहाँ की विधानसभा दिल्ली जैसी होगी. उपराज्यपाल ही यहाँ के प्रशासनिक सर्वेसर्वा होंगे. पुलिस उपराज्यपाल को ही रिपोर्ट करेंगी. जबकि लद्दाख को अलग कर केंद्र शसित राज्य का दर्जा दिया गया है. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी, वहां चंडीगढ़ जैसी तर्ज पर उपराज्यपाल होंगे. अलग विधान, प्रधान और निशान की बेड़ियों की जकड़न से छूटकर घाटी के लोग भी विकास का स्वप्न देख सकेंगे और उसे पूरा करने के लिए यथासंभव आगे भी बढ़ पायेंगे.

हालाँकि अनुच्छेद 370 का समापन करना सरकार के लिए कम दुष्कर नहीं था लेकिन इस अनुच्छेद का ही प्रयोग करते हुए सरकार ने इसे खत्म कर दिया. इसी अनुच्छेद के तीसरे खंड में राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी वक्त इसे निष्क्रिय कर सकते हैं, जिस प्रावधान का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति द्वारा आदेश जरी किया गया और इस आस्थाई व्यवस्था का अंत हो गया.

सात दशकों से एक अलग देश की तरह संचालित हो रहा जम्मू-कश्मीर वास्तविक रूप में अब जाकर भारत का अभिन्न अंग बन सका है. अब देश के केंद्र की सरकार अपने नियम-कानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू कर सकेगी. इसमें कोई दोराय नहीं कि जिस मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया है, वह वहाँ के विकास को फुल स्पीड से आगे बढ़ाने में अपना सर्वस्व झोंक देगी. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का विकास मोदी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं.
मोदी सरकार के दुसरे कार्यकाल का यह शुरुआती समय ही है. सरकार के अभी पूरे पांच साल बचे हैं. जबकि विपक्ष इस फैसले के खिलाफ है, और भाजपा लगातार यह कहकर काट कर रही है कि इस ऐतिहासिक कदम से घाटी का विकास होगा, ऐसे में इन दो नए केंद्र शासित राज्यों में विकास कार्यों को निर्बाध रूप से आगे बढ़ाने की बड़ी चुनौती भी केंद्र सरकार के पास होगी.

पहले कार्यकाल के दौरान जीएसटी और नोटबंदी जैसे बड़े  फैसले और दुसरे कार्यकाल के शुरुआत में ही तीन तलाक और अनुच्छेद 370 समाप्ति के बड़े फैसले लेना सरकार के दूरदर्शी सोच को प्रतिबिंबित करता है. यह भारतीय जनता पार्टी और उसके शीर्ष स्तरीय नेताओं की दृढ़ इच्छाशक्ति, दूरदर्शिता, संकल्शक्ति और सकारत्मक सोच ने असंभव को भी संभव कर दिखाया. मोदी और शाह की जोड़ी और उनका आपसी सामंजस्य अद्वितीय है जिसने इस बड़े निर्णय को लेते हुए जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न और अटूट अंग बना दिया.

कश्मीर अब पूर्णरूपेण भारत का सिरमौर बन गया है. जम्मू-कश्मीर भी अब भारत के संविधान, निशान और प्रधान के साथ विकास पथ पर आगे बढ़ेगा. परिवारवाद, अलगाववाद और आतंकवाद जैसे मसलों से हटकर अब उन्नति और प्रगति पथ पर चलेगा. भाजपा नीत एनडीए पर जनता का भरोसा और भी बढ़ गया है. मेनिफेस्टो में किये जो वादे लोगों को हास्यास्पद और असंभव प्रतीत होते थे, वे भी अब सार्थक होते प्रतीत होंगे. जनता को इस बाद का भरोसा हो गया है कि उनके एक-एक वोट वाकई देश की एकता, अखंडता और विश्वास को अक्षुण बनाये रखने में इस्तमाल हो रहा है.
सुशांत साईं सुन्दरम
आज ठंडक मिली होगी उन माँओं को जिनके जिगर के टुकड़े जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा करते वीरगति को प्राप्त हुए. चैन मिला होगा उन बेवाओं को जिनके सुहाग कश्मीर में बहे रक्त में उजड़ गए. सुकून मिला होगा उन बहनों को जिनकी राखियाँ उन शहीद हो चुके भाइयों के कलाई पर बंधने से वंचित रह गईं. उम्मीद है इस नई सुबह की रात नहीं होगी. सात दशकों का अँधेरा धीरे-धीरे छंटेगा. कश्मीर की वादियों के पहाड़ों से नव उर्जा लिए सूर्य उदित होगा. घाटी में भय, आक्रांत और आतंक का माहौल नहीं होगा. वहाँ रहने वाले लोगों के सर पर चिंता के बल नहीं पड़ेंगे. खुशनुमा माहौल में स्वर्णिम भविष्य लिखा जायेगा. बच्चे अपने सपनों को साकार करेंगे. और हाँ! आने वाली पीढ़ियों को आज की पीढ़ी इन बेड़ियों से आजादी की कथा रोमांचक कहानी सुनाएगी. वही अद्भुत अदम्य साहस की नई परिभाषा वाली...

एडिटर-इन-चीफ
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