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स्वास्थ्य : साँप काटने पर देव स्थान नहीं, अस्पताल जाएं

[gidhaur.com | शुभम कुमार] :-
बरसात के इस मौसम में तमाम तरह के दुश्वारियों के दिन शुरू हो जाते हैं। तमाम परेशानियों के साथ सर्पदंश के घटनाओं में भी इजाफा हो जाता है। खासकर देहाती क्षेत्रों में तो सर्पदंश की घटना रोज सुनने को मिल रही है।  इसमें अक्सर लोग भ्रांतियों और अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर अस्पताल जाने के बजाय झाड़-फूक वाले के यहाँ पहुँचकर अपनी जान जोखिम में डाल लेते हैं। जमुई जिले में भी इस तरह की घटना अधिक होती है।  इस तरह के घटनाओं में अंधविश्वास नहीं बल्कि इलाज की जरूरत होती है जिसके लिए लोगो को सचेत रहने की जरूरत है। सर्पदंश की स्थिती में लोगों को किसी देवी या सती स्थान जाने से पहले अस्पताल की ओर रूख करना चाहिए।
सर्पदंश की स्थिति में न बरतें लापरवाही :-
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ सैयद नौशाद अहमद बताते हैं कि सर्पदंश में जहर से कम बल्कि प्रभावित व्यक्ति की घबराहट से मौत हो जाती है‌। ऐसे में साँप काटने के बाद प्रभावित व्यक्ति के शरीर में कंपकपी होने के साथ ही उसका आवाज में भी परिवर्तन हो जाता है।  पीड़ित की आँखे झपने लगती है और साँस लेने में दिक्कत होने लगती है। सर्पदंश  की स्थिति में बिना समय गंवाए नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में पीड़ितों को पेय पदार्थ आदि नही देना चाहिए। इसका एकमात्र इलाज एंटी वेन‌म ही है, इसके अलावे किसी भी तरह की लापरवाही जानलेवा हो सकती है।
सभी जगह पर्याप्त मात्रा में है एंटी वेनम
सिविल सर्जन डॉ श्याम मोहन दास बताते हैं कि बरसात शुरू होने के पूर्व ही एंटी वेनम का पर्याप्त मात्रा में स्टॉक मंगा लिया गया है। इसे जरूरत के हिसाब से सभी पीएचसी में भी भेज दिया गया है। ऐसे में किसी भी स्थिति में सर्पदंश की घटना होती है तो वह झाड़-फ़ूक के चक्कर में न पड़कर तत्काल अपने नजदीकी अस्पताल में जाए तो निश्चित तौर पर इसका लाभ मिलेगा।