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सिमुलतला पहुँचे सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र, स्वामी विवेकानंद के प्रतिमा का किया अनावरण


[सिमुलतला | गणेश कुमार सिंह] :-

सिमुलतला स्थित रामकृष्ण आनंदपुर मठ में शानिवार को स्वामी विवेकानंद की 157 जयंती के रूप में युवा दिवस के मौके पर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण भारतीय स्वतंत्रता के महान क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र सोमनाथ बॉस ने माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर किया। सोमनाथ बॉस वर्तमान में नमो सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
  सोमनाथ बॉस शानिवार संध्या सिमुलतला पहुंचे, सिमुलतला के  अन्या रिसोर्ट में उनके रहने व्यवस्था की गई थी। अन्या रेसोर्ट के निदेशक फैबियन चार्ल्स वुड कहते हैं कि यह हमारा सौभाग्य है कि ऐसे महान हस्ती हमारे यहाँ पधारे।

श्री बॉस पत्रकारों से बातचीत में कहते है कि सिमुलतला की इस धरती पर स्वमी जी बेलूर मठ से पहले यहाँ की मठ की स्थापना 1916 में किया, पर आजतक यह मठ उपेक्षा का शिकार रहा। हम मठ को पुराने इतिहास के साथ नया रूप देना चाहते हैं किंतु इसमे स्थानीय लोगों का योगदान महत्वपूर्ण होगा। हम सिमुलतला की मठ को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखेंगे। उनके अनुसार भारत सभी मठ के जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण होना है।

» रामकृष्ण मठ सिमुलतला की महत्ता «

स्वामी विवेकानंद अपने जीवनकाल में दो बार स्वास्थ्य सुधार हेतु सिमुलतला आये। स्वामी जी सिमुलतला में करीब 7 महीने तक रहे इस बीच इन्होंने क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा दिया करते थे। उनकी सोच यह थी कि मठ का विस्तार सिमुलतला में ही हो इसके लिए उन्होंने 17 की एकड़ की जमीन पर 1916 में मठ स्थापित किया जिसे अपने गुरु   के सहयोग से मठ का निर्माण करवाया। यहां की सुद्ध जल एवं सुद्ध आवो हवा से वे काफी प्रभावित थे। वो पहली बार लगभग 16 वर्ष की उम्र में 1887 ईस्वी में सिमुलतला की धरती पर कदम रखे थे। स्वामी जी पुनः 1889 में सिमुलतला पधारे। परन्तु उपद्रवों से स्वामी जी का मन यहाँ से उठ गया। वे सिमुलतला का उल्लेख अपनी जीवनी में भी प्रदर्शित किए है। कहा जाता है कि सिमुलतला आने का पत्र अभी भी बेलूर मठ में रखा है। अनावरण कार्यक्रम के दौरान मठ के जीर्णोद्धार अध्यक्ष स्वामी चैतानंद, प्रतीक दास गुप्त, बापी दास, जग्गनाथ हाजरा, कपिलदेव,विष्णुकांत, रामकृष्ण सिंह सहित दर्जनों ग्रामीण मौके पर मौजूद होकर पुष्प अर्पित किया।

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