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शुक्रवार, 28 नवंबर 2025

ठंड के साथ गिद्धौर बाजार में गुड़-तिल की रौनक, तिलकुट-गुड़झिलिया की मांग बढ़ी

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 28 नवंबर 2025, शुक्रवार : ठंड की पहली ठिठुरन के साथ ही गिद्धौर बाजार में गुड़ और तिल से बने पारंपरिक व्यंजनों की सौंधी-मिली खुशबू ने बाजार का माहौल खुशनुमा कर दिया है। हर सड़क किनारे तिलकुट, गुड़झिलिया, चक्की और लाय जैसी बरसों से प्रिय मिठाइयों की भरमार लगी हुई है और खरीदारी करने वालों की भीड़ देखी जा रही है।

गिद्धौर के तिलकुट विक्रेता रंजीत गुप्ता और अंकित कुमार ने बताया कि जैसे ही मौसम ठंडा हुआ मांग स्वतः ही बढ़ गई। रंजीत ने कहा, ठंड आते ही लोग तिल और गुड़ की पारंपरिक चीजें खरीदते हैं बच्चे, बुजुर्ग और घरों में सर्दियों की मिठास के लिए सभी यही लेते हैं। अंकित ने बताया कि मौसमी मांग के कारण वे उत्पादन और बिक्री दोनों बढ़ा रहे हैं।

गिद्धौर में बाजार भाव
विक्रेताओं के अनुसार वर्तमान बाजार भाव इस प्रकार है, चीनी का तिलकुट 240 रुपये प्रति किलो, गुड़ का तिलकुट 260 रुपये प्रति किलो, खोवा का तिलकुट 400 रुपये प्रति किलो और गुड़झिल्लिया 120 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं। कई कारोबारी, जिनमें चंदन गुप्ता, बमबम केशरी और राजकुमार गुप्ता शामिल हैं, ने बताया कि वैवाहिक आयोजनों (लग्न-समारोह) के समापन के बाद तिलकुट का बड़ा निर्माण और बिक्री सत्र शुरू होगा।

गुड़ और तिल – सांस्कृतिक, पोषणतत्व और उपयोगिता की महत्ता
गुड़ और तिल सिर्फ स्वाद ही नहीं देता, बल्कि हमारी परंपरा और स्वास्थ्य से भी घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं, इसलिए इनका महत्व अलग दर्ज किया जाता है।

पारंपरिक महत्व : तिल और गुड़ भारतीय शीतकालीन परंपराओं का अभिन्न हिस्सा हैं। अनेक त्योहारों, शादी-ब्याह और पूजा-समारोहों में तिलकुट, गुड़खांड और गुड़ से बने व्यंजन परोसे जाते हैं। तिल और गुड़ को पारिवारिक सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

पोषण और ऊर्जा : गुड़ प्राकृतिक शर्करा का स्रोत है और तुरंत ऊर्जा देता है। ठंड के मौसम में शरीर को ऊष्मा और ऊर्जा की जरूरत बढ़ जाती है, इसलिए गुड़-तिल के उत्पाद सक्रिय विकल्प माने जाते हैं। तिल में प्रोटीन, फाइबर और खनिज जैसे कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम पाए जाते हैं, जो हड्डियों और समग्र स्वास्थ्य के लिए सहायक होते हैं।
स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्व : छोटे और मध्यम कुटीर-उद्योग जैसे तिलकुट निर्माता और गुड़ उत्पादनकर्ता ठंड के मौसम में हल्की आय के लिए निर्भर होते हैं। इनकी बिक्री से बाजार में आर्थिक चहल-पहल रहती है और रोजगार के अवसर बनते हैं।

स्वाद-विविधता और घरेलू उपयोग : तिलकुट और गुड़झिलिया माँ-बचपन से लेकर बुजुर्गों तक के लिए प्रिय स्नैक्स हैं। वे नाश्ते, त्योहारों और अतिथियों के स्वागत में प्रयुक्त होते हैं और कई घरों में इन्हें भोजन के साथ-साथ उपहार के रूप में भी लिया जाता है।

ग्राहकों ने दी सकारात्मक प्रतिक्रिया
बाजार में खरीदारी कर रहे हिमांशु बरनवाल ने कहा, हर साल की तरह इस बार भी हम घर के लिए तिलकुट और गुड़झिलिया लाए हैं, स्वाद भी अच्छा मिलता है और बच्चों को भी पसंद है। गृहिणी सोनी कुमारी ने कहा कि ठंड में ये पारंपरिक व्यंजन बच्चों और बुजुर्गों दोनों के लिए सुरक्षित और पसंदीदा विकल्प हैं।

अधिक उत्पादन के लिए सामग्री की उपलब्धता में जुटे व्यापारी
कई व्यापारी अधिक उत्पादन के लिए पहले से कच्चा माल (तिल, गुड़, खोवा) जमा कर रहे हैं। चंदन गुप्ता ने बताया कि उच्च मांग को देखते हुए उन्होंने सामग्री और श्रमिकों की व्यवस्था कर ली है ताकि मांग के चरम समय में ग्राहकों को समय पर माल मिल सके।

गिद्धौर के ठंड के मौसम में गुड़ और तिल से जुड़ी ये परंपरागत मिठाइयां न केवल स्वाद और स्नेह का प्रतीक हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति और कुटीर उद्योग की रफ्तार बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। इस मौसम में बाजार में आई इस हल्की-मीठी रौनक से यह बात स्पष्ट होती है कि गुड़-तिल की महत्ता सिर्फ खाने तक सीमित नहीं यह सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से भी गहरी जुड़ी हुई है।

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