जमुई/बिहार। जिले में शुक्रवार को महिला संवाद कार्यक्रम के आठवें दिन दसों प्रखंडों के 22 ग्राम पंचायतों में आयोजित कार्यक्रमों ने जन-सुनवाई का प्रभावी मंच प्रदान किया। इस अवसर पर लगभग 5,000 से अधिक महिलाओं ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराई और 70 से 80 महिलाओं ने खुलकर अपने अनुभव एवं आकांक्षाओं को साझा किया।
कार्यक्रम में महिलाओं ने एक स्वर में गरीब परिवारों को लाभ देने वाली नई योजना बनाने, वर्तमान योजनाओं में संशोधन और विस्तार की मांग रखी। खासकर सामाजिक पेंशन में वृद्धि, बालिका पोशाक योजना एवं साइकिल योजना की राशि बढ़ाने, स्वास्थ्य केंद्रों की उपलब्धता, लघु कुटीर उद्योग के लिए सुलभ ऋण और कम ब्याज पर वित्तीय सहायता की आवाज़ ज़ोर पकड़ती दिखी।
कार्यक्रम की शुरुआत 45 मिनट के सूचनात्मक वीडियो से हुई, जिसने महिलाओं को योजनाओं की गहरी जानकारी देने का कार्य किया। वीडियो का प्रभाव स्पष्ट दिखा — महिलाएं अब आत्मविश्वास के साथ न केवल सवाल पूछ रही हैं, बल्कि योजनाओं में आवश्यक सुधारों की मांग भी कर रही हैं।
संवाद कार्यक्रम गुलाब, ख़ुशी, मार्शल दहार, शगुन, ज्योति, मोहित, अभिलाषा, अनोखा, हरियाली, अम्बिका, नवदुर्गा, ओम, चाँद संकल्प, अमरनाथ, उज्ज्वल, राम, जीवन, आस्था, सृष्टि और शक्ति जैसे ग्राम संगठनों में संपन्न हुआ।
★ महिलाओं की प्रमुख मांगें इस प्रकार रहीं:
- सभी गरीब वर्गों के लिए सतत जीविकोपार्जन योजना की तर्ज पर नई योजना की शुरुआत हो।
- स्वयं सहायता समूह से जुड़े महिलाओं को बैंक से 5 से 10 लाख रुपये तक कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाए।
- सामूहिक रूप से "जीविका बैंक" की स्थापना की जाए, जिससे ऋण प्रक्रिया सरल हो।
इस मौके पर बिहार सरकार की योजनाओं से संबंधित लीफलेट एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संदेश पत्र भी महिलाओं के बीच वितरित किया गया, जिससे योजनाओं की विस्तृत जानकारी उन तक पहुंच सके।
कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि ग्रामीण अब केवल योजनाओं की लाभार्थी नहीं, बल्कि नीति निर्माण की भागीदार बनना चाहती हैं। संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से यह मंच उन्हें न सिर्फ अपनी बात कहने का अवसर दे रहा है, बल्कि बदलाव की दिशा में सामूहिक चेतना भी जगा रहा है।