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बुधवार, 14 अगस्त 2024

गिद्धौर : पतसंडा के काली मंदिर में वार्षिक सलोनी पूजा संपन्न, चंदेल राजाओं के समय का है इतिहास

– चंदेल राजाओं ने करवाया था निर्माण
– अब स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से हो रहा रखरखाव और जीर्णोद्धार
– प्रतिवर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष में होता है सलोनी पूजा का आयोजन

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 14 अगस्त 2024, बुधवार : मंगलवार को गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत पतसंडा पंचायत के राजपूत टोला स्थित ऐतिहासिक काली मंदिर में वार्षिक सलोनी पूजा श्रद्धापूर्वक संपन्न हुई। जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय एवं निकटम गांवों के श्रद्धालुओं ने श्रद्धा भाव से पूजा की। गिद्धौर स्थित इस काली मंदिर का निर्माण गिद्धौर राज रियासत द्वारा करवाया गया था। तब से लेकर आज तक निर्बाध रूप से इस मंदिर में सावन माह में वार्षिक पूजा की परंपरा चली आ रही है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। सन 1893 ई. में इस मंदिर का निर्माण गिद्धौर राज रियासत के महाराजा रावणेश्वर सिंह द्वारा करवाया गया था। सन 1923 ई. में उनकी मृत्यु के बाद तत्कालीन महाराजा चंद्र मौलेश्वर सिंह ने काली मंदिर के स्वरुप में परिवर्तन कराया तथा राज परिवार की ओर से नियमित पूजा-पाठ के लिए पंडित हरि गौरी मिश्रा, सोमनाथ मिश्र एवं विश्वनाथ मिश्र को जिम्मेदारी सौंपी। 
कालांतर में यह मंदिर काली मंडा के नाम से विख्यात हो गया। इस मंदिर के रखरखाव एवं जीर्णोद्वार का कार्य अब स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से किया जाता है। मंदिर का अस्तित्व कायम रखते हुए प्रतिवर्ष इस मंदिर में सावन माह में वार्षिक काली पूजा का आयोजन किया जाता है।
मंदिर के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मंदिर में वार्षिक पूजा सावन माह के शुक्ल पक्ष में मंगलवार या सोमवार से होता है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण पूजा के नाम से प्रचलित इस अवसर पर जो भी श्रद्धालु मां काली से मन्नत मांगते हैं, वह अवश्य पूरी होती है।
बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि इस वार्षिक पूजा के अवसर पर बकरे की बलि चढ़ाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है। इस मंदिर में वृहद रूप से होने वाला वार्षिक सलोनी पूजा के प्रति ग्रामीणों की श्रद्धा व अखंड विश्वास मां काली की महिमा से बढ़ता जा रहा है, लिहाजा चंदेल राजाओं द्वारा वर्षों पूर्व निर्मित यह काली मंदिर आज भी स्थानीय ग्रामीणों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है।
वार्षिक पूजा के अवसर पर गिद्धौर के इस काली मंदिर में स्थानीय एवं आसपास के गांव के श्रद्धालुओं ने भी पूजा-अर्चना की।

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