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शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

जमुई : नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ जन आस्था का महापर्व छठ

जमुई (Jamui), 17 नवंबर 2023, शुक्रवार : जमुई जिला में जन आस्था का चार दिवसीय महापर्व " छठ " परंपरागत एवं वैदिक रीति-रिवाज से शुरू हो गया। इस पर्व के प्रथम दिन यानी शुक्रवार को व्रतधारियों ने नदी , तालाबों , पोखरों आदि पवित्र जल स्रोतों में स्नान कर मिट्टी के चूल्हे और जलावन के जरिए अरवा चावल , चना का दाल , कद्दू की सब्जी समेत कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों को पकाया और नियमपूर्वक छठ मैया को भोग लगाने के बाद उसे स्वयं ग्रहण किया। व्रतधारी के द्वारा अरमानी भोजन ग्रहण किए जाने के बाद परिजनों ने भी इस महाप्रसाद को विधि-विधान के साथ पान किया और छठ मैया को नमन करते हुए व्रतधारी का भी वंदन किया। महापर्व छठ के प्रथम दिन नहाय-खाय अर्थात कद्दू भात जिसे यहां की स्थानीय भाषा में " पुरनका " कहा जाता है , धार्मिक अनुष्ठान के साथ संपन्न हो गया।

महापर्व छठ के दूसरे दिन यानी शनिवार को खड़ना अर्थात दूध-भात का दिन निर्धारित है। इसे स्थानीय भाषा में " नैयका " कहा जाता है। इस दिन व्रतधारी दिनभर निर्जला रहकर संध्या में पवित्र जल स्रोतों में स्नान करेंगे और दूध-भात समेत अन्य स्वादिष्ट व्यंजन पकाकर उसका भोग छठ मैया को लगाने के बाद इस महाप्रसाद को स्वयं ग्रहण करेंगे। व्रतधारी के द्वारा महाप्रसाद का पान किए जाने के उपरांत परिजन भी इसे नियमपूर्वक ग्रहण करेंगे साथ ही छठ मैया को प्रणाम कर व्रतधारी का आशीर्वाद लेंगे। खड़ना के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा जो 20 नवंबर को उदीयमान सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ संपन्न होगा।
सूर्योपासना का महापर्व छठ के तीसरे दिन यानी रविवार को व्रतधारी निर्जला रहकर फल , पकवान , नारियल समेत अन्य प्रकार के फलों एवं व्यंजनों से सूप और डाला सजाएंगे साथ ही पवित्र जल स्रोतों के किनारे जाकर नियमपूर्वक अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य देंगे , उनका वंदन करेंगे।

महापर्व छठ के चौथे एवं अंतिम दिन यानी सोमवार को व्रतधारी पुनः अहले सुबह फलों और पकवानों से सुसज्जित सूप , डाला आदि लेकर पवित्र जल स्रोत के किनारे जाएंगे और वहां उदीयमान सूर्य देव को अर्घ्य देकर इस " बड़का पर्व " का वैदिक तरीके से समापन करेंगे। व्रतधारी अर्घ्य के उपरांत सगे-संबंधियों के बीच फलों और पकवानों से संबंधित महाप्रसाद का वितरण करेंगे। साथ ही उन्हें इस अवसर पर अशेष आशीर्वाद देकर उनके स्वस्थ , सुखी एवं स्वर्णिम भविष्य की कामना करेंगे।
उधर लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर जमुई का वातावरण भक्तिमय हो गया है।छठ मैया से जुड़े गीत कानों में गूंजने लगी है। विभिन्न जल स्रोतों पर व्रतधारियों की भारी भीड़ नजर आ रही है। घाटों की सफाई और सजावट का कार्य जारी है। अत्याधुनिक रोशनी और ध्वनि विस्तारक यंत्र का अधिष्ठापन किया जा रहा है। भूमि के समतलीकरण के साथ स्वच्छता का कार्य भी प्रगति पर है। छठ व्रती के साथ परिजन भी पूर्ण अनुशासन के भाव में दिखने लगे हैं।

महापर्व छठ की तिथि :
17 नवंबर : नहाय - खाय से छठ पूजा की शुरुआत।
18 नवंबर : खड़ना।
19 नवंबर : उदीयमान सूर्य को अर्घ्य।
20 नवंबर : उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत परायण।

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